RANCHI,JHARKHAND#*झारखंड सहायक प्राध्यापक अनुबंध संघ का अनिश्चित कालीन धरना प्रदर्शन का तेरहवां दिन।*

RANCHI,JHARKHAND#*झारखंड सहायक प्राध्यापक अनुबंध संघ का अनिश्चित कालीन धरना प्रदर्शन का तेरहवां दिन।*

झारखंड सहायक प्राध्यापक अनुबंध संघ के द्वारा आयोजित *"महामहिम राज्यपाल सह कुलाधिपति महोदय तथा माननीय मुख्यमंत्री महोदय के ध्यानाकर्षण हेतु शांति पूर्ण अनिश्चित कालीन धरना प्रदर्शन* के तेरहवां दिन भी राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों व अंगीभूत महाविद्यालयों में कार्यरत महिला प्राध्यापकों के नेतृत्व में सैकड़ों प्राध्यापकों ने अपने मांगों को लेकर आवाज बुलंद की। ऐसे स्थिति में आलम यह है कि राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में पठन-पाठन पूरी तरह से बाधित हो गई है। जहां एक ओर कॉलेजों में सन्नाटा, प्रायः कक्षाएं खाली जा रही है। कई विश्वविद्यालयों में छात्रों की परीक्षाएं आयोजित होने वाली हैं। ऐसे में विद्यार्थी अपने शिक्षकों को ढूंढते फिर रहें है तो दूसरी तरफ सहायक प्राध्यापक अपने मांगों को लेकर सड़क पर धरना प्रदर्शन करते दिखाई दे रहें है और सरकार कान में तेल डालकर कुंभकर्ण की तरह निंद में सोई हुई है। 

विदित हो कि पिछले तेरह दिनों से झारखंड सहायक प्राध्यापक (अनुबंध) संघ के बैनर तले राज्य की राजधानी रांची में राजभवन के समक्ष सैकड़ों प्राध्यापक ध्यानाकर्षण कार्यक्रम में डटे हुए है। ऐसे में प्राध्यापकों का कहना है कि कोई भी सरकार राज्य के कल्याणकारी कार्यों के लिए ही होता है। अतः सरकार को हमारी चार सूत्री मांगों पर गंभीरता के साथ विचार करने की जरुरत है। हम विगत साढ़े चार वर्षों से घंटी आधारित होकर अपने कार्यों का निर्वहन बखूबी करते चले आ रहें हैं। अब इस तरह से और अधिक दिनों तक हम कार्य नहीं कर सकते। हमलोंगो का मांग जायज है अतः सरकार हमें सम्मान का जीवन दे ताकि हम सब और अधिक समर्पित होकर अपने राज्य की उच्च शिक्षा व्यवस्था में गुणात्मक सुधार ला सकें। इन प्राध्यापकों का साफ साफ कहना है कि सरकार शोषणकारी रवैए को छोड़ कर हमारी मांगों को मान ले, चुकी हम सबों का चयन यू.जी.सी के मापदंडों के आधार पर ही हुई है। इसलिए सरकार सबसे पहले हमें यू.जी.सी ग्रेड पे के अनुसार निश्चित मासिक सैलेरी फिक्स कर दे।

तद्नोपरांत सरकार हमारे लिए एक स्टेच्यूट का निर्माण कर यथा शीघ्र हमें नियमित करने का प्रयास करे। साथ ही

एस.के.एम.यू. तथा कोल्हान विश्वविद्यालय में 6-6 यानी कुल बारह टर्मिनेट साथियों को सेवा में अभिलंब वापस लाए, क्योंकि राज्य के विश्वविद्यालयों में हज़ारों पद अभी भी रिक्त पड़े हैं। ऐसे में किसी को टर्मिनेट करना तर्क संगत नहीं है। 

इन सहायक प्राध्यापकों का कहना है कि कुल मिलाकर ये नियुक्ति काफी शोषणकारी है। सरकार हमलोगों को लगातार शोषण कर रही है। शोषण कारी व्यवस्था के विरुद्ध मजबूर होकर हमें एकत्रित होना पड़ रहा है ताकि राज्यपाल सह कुलाधिपति तथा मुख्यमंत्री, मंत्री और विधायक महोदय का ध्यानाकर्षण कार्यक्रम के जरीए ध्यान आकृष्ट किया जा सके।

इन प्राध्यापकों का साफ साफ कहना है कि माननीय मुख्यमंत्री महोदय जी से कई बार हम लोगों ने मिलने का समय मांगा, अपने मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा, परंतु उन्होंने समय प्रदान नहीं किया अन्ततः हमें विवश हो कर हम सभी प्राध्यापकों को इस बरसात के मौसम में भी धरने पर बैठना पड़ रहा है। 

आज के ध्यानाकर्षण हेतु धरना प्रदर्शन में विभिन्न विश्वविद्यालयों से आये सैकड़ों घंटी आधारित अनुबंध प्राध्यापक उपस्थित रहे। जिसमें मुख्य रूप से डॉ० अंजना सिंह, डॉ० बी.एन.साहू, डॉ० एस.के. झा, डॉ० नरेंद्र दास, डॉ० दीपक कुमार, श्री बिंदेश्वर साहू, डॉ० अशोक कुमार महतो, डॉ० राम कुमार, डॉ० स्मिता गुप्ता, डॉ० निवेदिता मुनमुन, डॉ० सुमंत कुमार, डॉ० नीलम कुमारी, श्रीमति अन्नपूर्णा झा, डॉ० सुभाष साहू, सुनीता टोप्पो, श्रीमति सुनीता उरांव, डॉ० सरवाणी चक्रवर्ती, डॉ० राजन कुमार, डॉ० अजय नाथ सहदेव, डॉ० ज्योति चौधरी, श्रीमति कुमारी कंचन बर्नवाल, डॉ० संगीता पी. सांगा, डॉ० लक्ष्मी पिंगुआ, डॉ० अल्पना मेहता, सुश्री सुषमा कुजूर, डॉ० रेखा कुमारी, डॉ० अंजुलता कुमारी इत्यादि ने भाग लिया।


By Madhu Sinha 

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