JHARKHAND#पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने फिर भरी हुंकार..!!
झारखंड। एक छात्र नेता के रूप में अपना राजनीतिक सफर शुरू करने वाले सुबोध कांत सहाय ने एक बार फिर अपने पुराने शेरदिल तेवर दिखाए हैं।
1960 और 70 के दशक की मुख्यधारा की छात्र राजनीति से निकले नेताओं का यह काबिले-तारीफ़ रुख है कि वे समाज में तानाशाही की घुसपैठ का विरोध कर रहे हैं और बदले की कार्रवाईयों के खतरों से डरे बिना अपनी आवाज़ उठा रहे हैं।
उन्होंने पूरे दमखम और साफगोई से कहा कि "अग्निवीर" जैसी एक गलत और बेतुकी नीति के बरख़िलाफ़ उठ रहे संघर्ष को "थर्ड राइख़" के नक्शे कदम पर चल कर कुचलने के कारण इस सरकार का भी वैसा ही बुरा हश्र होगा, जैसा हिटलर और उनके "राइख़" राज का हुआ था।
इस तुलना को समाज में व्यापक समर्थन मिल रहा है और सेना में भर्ती होने के आकांक्षी नौजवान भी इसे शेर की दहाड़ मान रहे हैं।
By Madhu Sinha




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