ताजिया का निशान उखाड़ कर आपसी भाईचारे में खटास पैदा करने की कोशिश।

 ताजिया का निशान उखाड़ कर आपसी भाईचारे में खटास पैदा करने की कोशिश।

नवादा प्रशासन संप्रदायिक ताकतों पर अंकुश लगाने में विफल।


 नवादा बिहार।

 नवादा जिला के अंतर्गत अब्दुल पंचायत के ग्राम सुखनर टोला डमरकुरहा, थाना सिरदला मे इस लॉकडाउन मे मुहर्रम खेला भी नही जा रहा है। इस कोरोना काल में सिर्फ झंडा के  निशान से ही अपना मुहर्रम मनाने का फैसला किया, मगर उसे भी उखाड़ कर फेंक दिया जो मुसलमानों के आस्था से खिलवाड़ किया गया है। निशाना झंडा उखाड़ कर संप्रदायिकता को बढ़ावा देने  का काम किया गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सुखनर गांव में प्लॉट नंबर 2733 खाता नंबर 493 रकबा 1 एकड़ यह जमीन पुराने प्लॉट और खाता में कब्रिस्तान और दरगाह के नाम से है और नए सर्वे में कर्मचारी की गलती से बिहार सरकार हो गया है। इस प्लॉट पर आजादी से पहले से ताजिया जुलूस निकाला जाता था। 


 

आपसी विवाद के कारण 8 अगस्त 2021 को शांति समिति की बैठक में प्रशासन द्वारा कुछ निर्णय लिया गया और दफा 107 भी लगा दिया गया ताकि कोई किसी तरह का हस्तक्षेप न कर सके लेकिन कानून व्यवस्था को चुनौती देते हुए शंकर पासवान, संजय पासवान, और कृष्णा पासवान पिता स्वर्गीय प्रभु पासवान दूसरा ईश्वरी पासवान पिता बंशी पासवान ने अल्पसंखयक समुदाय के आस्था से खिलवाड़ किया,जो काबिले जुर्म है। शंकर पासवान ओ अन्य सभी ने कानून व्यवस्था को बलाए ताक रखते  हुए लगभग 40 झंडे और निशाने अलम को उखाड़ कर फेंक दिया मुसलमानों के आस्था का यह मामला है शंकर पासवान अन्य को इतनी शक्ति कहां से मिली कि वह किसी की आस्था से टकरा गया।


 जबकि दफा 107 लग चुका है। ताजियादार असगर अली मोहम्मद खलील, अशरफ मियां रोजन मियां ने रजौली एसडीओ  चंद्रशेखर आजाद और सिरदला थाना अध्यक्ष आशीष कुमार मिश्रा तक न्याय की गुहार लगाई है। अब न्याय पालिका में इंसाफ का इंतजार है। विशेष तौर पर मुस्लिम समुदाय  में डर और खौफ का माहौल बना हुआ है। जिला प्रशासन और राजनीतिक दल से सूखनर अल्पसंखयक की जनता इंसाफ की गुहार लगाई है। कहा गया है के नए सर्वे में कब्रिस्तान की जमीन दरगाह की जमीन आमतौर पर हर जगह बिहार सरकार हो गया है। इसी प्रकार मेरे यहां की भी जमीन  बिहार सरकार होने की वजह कर शंकर पासवान, संजय पासवान, कृष्णा पासवान रिश्वत के जोर पर इसे बंदोबस्ती करा लिया गया है। जो कानूनन अपराध है। जिसमे प्रशासन से की मिलीभगत से यह बंदोबस्ती हुआ है जो मुस्लिम समुदाय को दूर-दूर तक पता नहीं चला। अब जब उन्हें पता चला है। तो अपने हक के लिए लड़ रहे हैं। एक जमाने से वहां पर ताजियादारी होती है ताजिया जुलूस निकाला जाता है झंडा गाड़ा जाता है फिर भी इसकी बंदोबस्ती क्यों और कैसे हुई? यह जांच का विषय है? नवादा प्रशासन अंचलाधिकारी, अनुमंडल अधिकारी सभी इस बंदोबस्ती के जांच में जुट गए।




By Madhu Sinha

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