LATEHAR :“आदिवासीयों की सांस्कृतिक परंपरा रूढ़िवादी को छेड़ा तो छोड़ेंगे नहीं” – कमलेश उराँव ।

 LATEHAR :“आदिवासीयों की सांस्कृतिक परंपरा रूढ़िवादी को छेड़ा तो छोड़ेंगे नहीं” – कमलेश उराँव ।

लातेहार, झारखंड ।

झारखंड में कुड़मी समुदाय को आदिवासी (ST) सूची में शामिल करने की मांग को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। इस मुद्दे पर राज्य के अलग-अलग जिलों में विरोध और समर्थन की आवाजें तेज हो गई हैं।

समाजसेवी एवं छात्र नेता कमलेश उराँव ने लातेहार में कहा कि – “कुड़मी/कुरमी महतो समुदाय फिलहाल OBC आरक्षण का लाभ उठा रहा है, बावजूद इसके वे अबआदिवासी सूची (ST) में शामिल होने की मांग कर रहे हैं। लेकिन पूरे झारखंड के आदिवासी समाज इस मांग का लगातार विरोध कर रहा है।”

कमलेश उराँव ने कहा कि आदिवासी समाज की अपनी भाषा, नृत्य-गीत और ‘बारह महीने तेरह पर्व’ जैसी अद्वितीय परंपरा है। “करम” से शुरू होकर “सरहुल” तक त्योहारों की एक लंबी परंपरा आदिवासी समाज की पहचान है। उन्होंने चेतावनी दी कि –“अगर हमारी सांस्कृतिक परंपरा और रूढ़िवादी सभ्यता के साथ छेड़छाड़ की गई, तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। भाईचारा बना रहे तो बेहतर है, अन्यथा पूरा आदिवासी समाज जाग चुका है।”

इतिहास का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जब 24 दिसंबर 1996 को पेसा एक्ट लागू हुआ था, तब कुरमी/कुड़मी महतो समुदाय ने इसका विरोध किया था। इसी तरह 1931 की जनगणना में उन्होंने खुद को क्षत्रिय और शिवाजी का वंशज बताते हुए आदिवासी समुदाय का हिस्सा मानने से इनकार किया था।





Report By Ram Kumar (Latehar, Jharkhand)

By Madhu Sinha 

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