RANCHI : दुर्लभ है हरिनारायण सिंह सरीखे व्यक्तित्व और पत्रकार का होना : संजय सेठ।
प्रतिष्ठित पत्रकार, समाजसेवी एवं आजाद सिपाही संस्थान के संस्थापक हरिनारायण सिंह की स्मृति में शोक सभा सह सर्वधर्म श्रद्धांजलि सभा का आयोजन ।
रांची, झारखंड ।सुप्रसिद्ध पत्रकार, संपादक, समाजसेवी और आजाद सिपाही संस्थान के संस्थापक हरिनारायण सिंह के आकस्मिक निधन पर शोक एवं श्रद्धांजलि व्यक्त करने के लिये आज राजधानी के मोरहाबादी स्थित मान्या पैलेस में शोक सभा सह सर्वधर्म श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया.
सामाजिक-वैचारिक संगठन रांची रिवोल्ट जनमंच तथा सर्वधर्म श्रद्धांजलि सभा आयोजन समिति के द्वारा आयोजित इस समारोह में जितने अधिक वक्तव्य थे उतनी ही भावनायें और उससे भी ज्यादा सभी के दिलों के उद्गार. और सभी ने हरिनारायण सिंह से जुड़ी अपनी यादों को साझा किया.
इस अवसर पर केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने कहा कि हरिनारायण सिंह के व्यक्तित्व में पत्रकार के साथ ही समाजसेवी का अद्भुत एवं दुर्लभ सामंजस्य था. वैसे व्यक्तित्व बहुत ही कम होते हैं जिनमें सारे गुण समाहित तो हो ही साथ ही वह जमीन से भी जुड़ा हो. श्री सेठ ने कहा कि श्री सिंह की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि वह जिससे भी मिलते थे उसी को अपना बना लेते थे भले ही उस मुलाकात की अवधि कितनी भी संक्षिप्त क्यों ना हो. श्री सेठ ने इस अवसर पर स्वयं से जुड़ी अनेक यादों को साझा किया.कार्यक्रम का संचालन करते हुए अधिवक्ता, भाजपा नेता और सामाजिक-वैचारिक संगठन रांची रिवोल्ट जनमंच के संयोजक डॉ. प्रणव कुमार बब्बू ने कहा कि हरि भैया से जो भी मिला उसका ना तो रिश्ता ना तो व्यापारिक रहा ना ही किसी अन्य प्रकार का बल्कि वह पूरी तरीके से व्यक्तिगत हो जाता था. उन्होंने श्री सिंह के विषय में उन यादों को साझा किया जब उन्होंने एक पत्रकार, संपादक और समाज की सक्रिय कार्यकर्ता की बजाय उससे बहुत आगे बढ़कर समाज में सामंजस्य और आपसी एकजुटता और सहयोग की भावना को विकसित किया. डाॅ. बब्बू ने कहा कि चाहे किसी भी समय में उनसे मिलने जो भी जाता था लेकिन वे उसकी भरपूर सहायता करते थे अथवा कहीं से भी उसके लिए मार्ग तलाश कर ही लेते थे.
इस कार्यक्रम में अपने उद्गार व्यक्त करते हुए श्री सिंह के पुत्र राहुल सिंह ने कहा कि वे हमेशा आजाद सिपाही संस्थान को अपने पिता के बताये मार्ग पर चलाते रहेंगे. उन्होंने श्री सिंह की यादों को साझा करते हुए कहा कि एक बार अकस्मात उन्होंने कहा था कि यदि मृत्यु भी हो जाए तो दाह संस्कार बाद में लेकिन समाचार पत्र का प्रकाशन पहले होना चाहिए. लेकिन उन्हें यह पता नहीं था कि यह बात वास्तविकता में तब्दील हो जाएगी. श्री सिंह ने अपेक्षा की कि सभी लोगों का भरपूर सहयोग और मार्गदर्शन उन्हें मिलेगा जिससे वे न केवल अपने पिता की यादों और उनके कार्यों के अनुरूप उनके कार्यों को आगे बढ़ा सकेंगे बल्कि अपने संस्थान को भी वह निरंतर नहीं ऊंचाई देंगे.
राज्य गो सेवा आयोग के अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने हरिनारायण सिंह से जुड़ी अपनी यादों को याद करते हुए कहा कि श्री सिंह न केवल सभी के व्यक्तित्व और कृतित्व में रूचि लेते थे बल्कि वे उससे बातचीत करते हुए सटीक मार्गदर्शन भी करते थे और इस मायने में उनकी कमी हमेशा खलेगी. अपने संबोधन में बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने बताया कि जब वे रांची आये तब से उनका श्री सिंह के साथ निरंतर संपर्क बना रहा और यह कहना सही नहीं कि श्री सिंह की प्रतिष्ठा, ख्याति और उनकी लोकप्रियता केवल रांची तक थी. वे तो पूरे झारखंड और एक मायने में पूरे देश तक थी. उन्होंने कहा कि अनेक बार वैसी स्थिति पैदा हुई जब झारखंड के बाहर का कोई व्यक्ति झारखंड के संदर्भ में विश्वसनीय समाचार प्राप्त करने के लिए उन्हें ही फोन करता था. अपने संबोधन में केंद्रीय महावीर मंडल के अध्यक्ष जय सिंह यादव ने कहा कि श्री सिंह के साथ उनका व्यक्तिगत संबंध था और न केवल उनके बल्कि सभी के साथ वह उसी अपनेपन के साथ मिलते थे जिसके कारण सभी उन्हें अपना समझते थे और यही उनके व्यक्तित्व की सबसे बड़ी खासियत थी. राजधानी की केंद्रीय दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष राजेश रंजन चुन्नू ने ने कहा कि श्री सिंह के व्यक्तित्व में वैसा चुंबकीय गुण था जिसके कारण उनसे मिलना हमेशा प्रेरणा का काम करता था. उन्होंने कहा कि उनसे जुड़ी हुई अनेक वैसी यादें हैं जो उन्हें अबतक शब्दश: याद है. अपने संबोधन में ब्रांड कंसलटेंट संतोष दीपक ने कहा कि श्री सिंह न केवल पत्रकार थे बल्कि उनमें अखबार से संबंधित वैसे सभी गुण थे जिसकी एक अखबार को आवश्यकता होती है. उन्होंने कहा कि अधिकांश लोगों की नजर में पत्रकार, अखबार का सबसे सबसे बड़ा हिस्सा होता है लेकिन वास्तविकता यह है कि पत्रकार और संपादन क्षेत्र महत्वपूर्ण तो होता है लेकिन इसके साथ ही सर्कुलेशन, विज्ञापन और अखबार के प्रबंधन के साथ-साथ सभी विभागों के मध्य सामंजस्य भी उतना ही मायने रखता है और इस परिदृश्य में देखा जाये तो श्री सिंह में वैसी अनेक विशेषता थी जिसके कारण उन्होंने आजाद सिपाही जैसे संस्थान को न केवल खड़ा किया बल्कि पूरे झारखंड में प्रतिष्ठित करने के साथ-साथ उसकी गरिमा को भी दूर-दूर तक पहुँचाया जहां अखबारों के सिद्धांत के साथ-साथ व्यावहारिक पहलू को भी पूरी तरीके से ध्यान में रखा गया. अपने संबोधन में समाजसेवी ललित ओझा ने कहा कि पत्रकारिता के क्षेत्र में श्री सिंह की जितनी सक्रियता थी उससे कहीं ज्यादा उनकी गतिविधियां समाज सेवा के क्षेत्र में भी थी और वह हमेशा संवेदनशील, सहज, सतर्क रहने के साथ-साथ सभी को प्रेरित करते थे.
अपने संबोधन में कांग्रेस नेता शमशेर आलम ने कहा कि सामाजिक सौहार्द तथा सभी धर्मों के बीच आपसी सद्भाव के प्रति श्री सिंह का समर्पण अनुकरणीय था और अनेक बार जिस कार्य को जिला प्रशासन नहीं कर पाया उसी कार्य को उन्होंने सफलतापूर्वक किया इसीलिए सभी धर्म, जाति, समुदाय के लोग उनका लोहा मानते थे. अपने संबोधन में सुप्रसिद्ध ज्योतिषी एन.के. बेरा ने कहा कि हरिनारायण सिंह के साथ जुड़ी हुई उनकी अनेक यादों में वे बातें सर्वप्रमुख है जब उन्होंने ज्योतिषी, अध्यात्म, धर्म-संस्कृति के प्रति जितना ध्यान दिया वह दुर्लभ है. न केवल राजनीति या समाजसेवा बल्कि उनका झुकाव और रुझान ऐसे क्षेत्रों में भी था. कार्यक्रम में पशुपति सिंह, भारत भूषण प्रसाद, संजय सहाय शंकर दुबे, लंकेश सिंह, अभिषेक कुमार मिंकु, मनीषा कुमारी, लक्ष्मण कुमार, मिथिलेश पांडेय, सुजाता भकत, लक्ष्मी शर्मा, डाॅ. राजेन्द्र हाजरा, विकास कुमार, संतोष कुमार, मनोज कुमार गुहा, विजय दत्त पिंटू, कुन्दन कुमार सिन्हा, सूर्य विकास मिंज, ॠत्विक राज राजू, मन्टू यादव, कुमार रजक, मोहम्मद नौशाद, मुकेश पांडे, गोपाल पारीक, विमल आनंद, मुजीब कुरैशी, परवेज कुरैशी देवानंद सिन्हा, शिव किशोर शर्मा, सुरेंद्र सिंह, विजय शंकर नायक, अंकित रंजन सहित अनेक लोग उपस्थित थे.
By Madhu Sinha
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