Ranchi : बच्चों के शोषण पर नियंत्रण विषयक संगोष्ठी आयोजित, *सुरक्षा,सतर्कता और बाल अधिकारों के प्रति संवेदनशीलता जरूरी - अनुप बिरथरे

 Ranchi : बच्चों के शोषण पर नियंत्रण विषयक संगोष्ठी आयोजित,

*सुरक्षा,सतर्कता और बाल अधिकारों के प्रति संवेदनशीलता जरूरी - अनुप बिरथरे  

रांची, झारखंड । 

बच्चों की सुरक्षा,सतर्कता और उनके अधिकारों के प्रति संवेदनशीलता जरूरी है। बच्चों के शोषण पर अंकुश लगाने के लिए कई कानून बनाए गए हैं, उन कानूनों के अनुपालन की दिशा में सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर सामूहिक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। उक्त बातें झारखंड के एसटीएफ के महानिरीक्षक अनूप बिरथरे (आईपीएस) ने रविवार को डोरंडा के पलाश सभागार में योशा और इनफ्लक्स संस्था के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित बच्चों के शोषण और उनके अधिकार विषयक 'सजग' सेमिनार में बतौर मुख्य अतिथि कही। 

उन्होंने कहा कि बच्चों के शोषण की रोकथाम से संबंधित कानूनों के अनुपालन की दिशा में पुलिस विभाग द्वारा सकारात्मक पहल की जा रही है। उन्होंने बाल शोषण व इससे जुड़े विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला। साथ ही, पुलिस विभाग द्वारा इस संबंध में की जा रही पहल से भी अवगत कराया।

   सेमिनार में विभिन्न क्षेत्रों के बच्चों के माता-पिता को भी आमंत्रित किया गया था।

सुरक्षा,सतर्कता और जवाबदेही के लिए सामूहिक सहभागिता निभाने की अपील उक्त सेमिनार का मुख्य संदेश रहा। 

 इसके पूर्व सजग संगोष्ठी में मुख्य अतिथि सहित अन्य विशिष्ट अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।  विषय प्रवेश कांग्रेस नेत्री  यशस्विनी सहाय ने कराया। उन्होंने स्वागत भाषण में कहा कि मासूम बच्चों की सोच काफी संवेदनशील व नाजुक होती है। यदि बच्चों के कम उम्र में मानस पटल पर चोट पहुंचती है, तो उसकी भरपाई मुश्किल से हो पाती है। उन्होंने कहा कि असली पीड़ा सिर्फ उस कृत्य से नहीं, बल्कि उसके बाद की चुप्पी से होती है। इस चुप्पी को तोड़ने के लिए इस प्रकार के सेमिनार का आयोजन वर्तमान समय की मांग है। उन्होंने कहा कि बच्चों के शोषण पर नियंत्रण के लिए सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर प्रयास किए जाने की जरूरत है। 

 झालसा सदस्य सचिव एवं प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश रंजना अस्थाना ने बच्चों के शोषण की रोकथाम से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की जानकारी दी। वहीं, उच्च न्यायालय की अधिवक्ता ऋतु कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय ने कानून की मूल भावना को बनाए रखते हुए मुंबई हाई कोर्ट की व्याख्या को खारिज किया है। बच्चों के शोषण पर अंकुश लगाने के लिए कई कानून बनाए गए हैं, जिसकी जानकारी जागरूकता के माध्यम से ही संभव है। संगोष्ठी में यूनिसेफ की बाल संरक्षण विशेषज्ञ प्रीति श्रीवास्तव ने एएचटीयू इकाइयों के बीच समन्वय की कमी, गवाहों की सुरक्षा की कमी आदि महत्वपूर्ण विषयों पर अपने विचार रखे।  उन्होंने कहा कि न्यायालय में बाल शोषण मामलों में गवाहों को पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। वहीं पत्रकार नमिता तिवारी ने डिजिटल शोषण और सोशल मीडिया की चुनौतियों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में जीडी गोयनका पब्लिक स्कूल के प्राचार्य डॉ.सुनील कुमार ने गुड टच बैड टच से आगे बढ़कर सेफ टच और अनसेफ टच के अंतर को स्पष्ट करते हुए इस संबंध में सूझबूझ  विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया। 

इस अवसर पर आईएमए के स्टेट सेक्रेटरी डॉ. प्रदीप कुमार सिंह, समाजसेवी मुकेश कुमार, डॉ. प्रणव कुमार बब्बू, वरिष्ठ पत्रकार नवल किशोर सिंह, इंडियन जर्नलिस्ट एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष देवानंद सिन्हा, पत्रकार विजयदत्त पिंटू, मुस्तकीम आलम, सामाजिक कार्यकर्ता नफीस अहमद सहित अन्य मौजूद थे। 

 संगोष्ठी के समापन पर आयोजक की ओर से पर्यावरण संरक्षण के संदेश के साथ मुख्य अतिथि सहित सभी अतिथियों को एक-एक पौधा भेंट किया गया।




By Madhu Sinha 

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