Patna : स्वस्थ समाज के लिए सौहार्दपूर्ण माहौल जरूरी: अनिरुद्ध सिंह ।
बख्तियारपुर, पटना, बिहार ।स्वस्थ और समृद्ध समाज के लिए सौहार्दपूर्ण वातावरण जरूरी है। सामाजिक समरसता से समाज के विभिन्न वर्गों और समुदायों के बीच एकता और सहयोग बढ़ता है, जिससे समाज में शांति और सौहार्द बना रहता है। उक्त बातें पटना जिलांतर्गत बख्तियारपुर प्रखंड के करनौती ग्राम निवासी प्रगतिशील किसान व समाजसेवी अनिरुद्ध सिंह (सरदार जी) ने कही। उन्होंने कहा कि सामाजिक समरसता से सामाजिक न्याय को बढ़ावा मिलता है, जिससे समाज के सभी वर्गों को समान अवसर और अधिकार मिलते हैं। समाज का सर्वांगीण विकास होता है, क्योंकि सभी वर्गों के लोग मिलकर सामाजिक विकास में योगदान देते हैं। श्री सिंह ने कहा कि सौहार्दपूर्ण माहौल से समाज में शांति और सुरक्षा बनी रहती है, जिससे लोगों को अपने जीवन और संपत्ति की सुरक्षा का भरोसा होता है।
सामाजिक सद्भावना बढ़ती है, जिससे लोग एक दूसरे के साथ सहयोग और सहानुभूति के साथ व्यवहार करते हैं।
आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है, क्योंकि निवेशकों और उद्यमियों को समाज में निवेश करने के लिए एक सुरक्षित और स्थिर माहौल मिलता है।
उन्होंने कहा कि सामाजिक समरसता और सौहार्दपूर्ण माहौल स्वस्थ और समृद्ध समाज के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। इससे समाज में एकता, सहयोग, सामाजिक न्याय, शांति, सुरक्षा और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है। इसलिए, समाज के सभी वर्गों और समुदायों को मिलकर सामाजिक समरसता और सौहार्दपूर्ण माहौल को बढ़ावा देने की दिशा में सहभागिता निभाने की आवश्यकता है।
*गांवों का तेजी से हो रहा शहरीकरण भी एक कारक*
उन्होंने कहा कि पहले गांवों में भाईचारगी और एकता दिखती थी, लेकिन गांवों का तेजी से हो रहे शहरीकरण के कारण ग्रामीण परिवेश में भी बदलाव हुआ है। गांवों के लोग शहरों में नौकरी और रोजगार की तलाश में चले जाते हैं, जिससे गांवों में एकता का माहौल कम होता जा रहा है। आधुनिकीकरण और शहरीकरण के कारण लोगों की जीवनशैली में बदलाव हुआ है, जिससे पारंपरिक एकता और सामुदायिक भावना कम होती जा रही है।
गांव में आर्थिक असमानता बढ़ने से लोगों के बीच दूरी और मतभेद भी बढ़ने लगे हैं।
सामाजिक परिवर्तन जैसे कि शिक्षा, मीडिया और प्रौद्योगिकी के प्रभाव से लोगों के विचार और मूल्य बदल रहे हैं, जिससे सामाजिक एकता प्रभावित होती है।
उन्होंने कहा कि राजनीतिक विभाजन और मतभेद गांव में एकता को कम करने के मुख्य कारक हैं।
वहीं, प्रशासनिक अक्षमता और बढ़ते भ्रष्टाचार से प्रशासनिक और सामाजिक ढांचे से लोगों का विश्वास कम होता जा रहा है। सरकारी जन-कल्याणकारी योजनाओं में लूट-खसोट से ग्रामीण विकास बाधित होता है।
गांवों से शहरों में प्रवास और प्रवृत्ति के कारण लोगों के बीच दूरियां बढ रही है। तकनीकी परिवर्तन जैसे कि मोबाइल और इंटरनेट के कारण लोगों के बीच संचार और एकता कम होती जा रही है।
इन कारणों को हमें गंभीरता से समझने की जरूरत है, तभी हम गांवों में एकता को बढ़ावा देने में सफल हो सकते हैं और स्वस्थ और समृद्ध समाज व राष्ट्र का सपना साकार हो सकता है।
By Madhu Sinha
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