RANCHI,JHARKHAND#अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025 पर विशेष - "एक्सलरेट एक्शन" के साथ नारी सशक्तिकरण वर्तमान समय की मांग - डॉ.मीनाक्षी सिंह..!!
रांची, झारखंड ।महिलाओं के बिना सामाजिक नवनिर्माण की कल्पना नहीं की जा सकती। स्वस्थ, समृद्ध और सशक्त समाज के लिए हर क्षेत्र में महिलाओं की सहभागिता जरूरी है।
महिलाओं के उत्साहवर्धन और उनके अधिकारों के संरक्षण को लेकर हर वर्ष देश-दुनिया में 8 मार्च को महिला दिवस का आयोजन किया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं की उपलब्धियों का उत्सव और लैंगिक समानता की दिशा में प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
जैसा कि विदित है, इस वर्ष, 2025 में, महिला दिवस की थीम 'एक्सलरेट एक्शन (कार्रवाई में तेजी लाना) है, जो महिलाओं के अधिकारों, लैंगिक समानता और समावेशी विकास को तेज गति देने पर जोर देती है।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के इतिहास पर गौर करें तो पता चलता है कि वर्ष 1908 में न्यूयॉर्क शहर में लगभग 15 हजार महिलाओं ने कम काम के घंटे, बेहतर वेतन और मतदान के अधिकार की मांग करते हुए प्रदर्शन किया। इसके बाद वर्ष 1910 में कोपेनहेगन में आयोजित 'द्वितीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यकारी महिला सम्मेलन' में जर्मन समाजवादी क्लारा ज़ेटकिन ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की स्थापना का प्रस्ताव रखा, जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया। पहली बार यह दिवस 19 मार्च 1911 को ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्जरलैंड में मनाया गया।
तत्पश्चात संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा वर्ष 1975 में इसे मान्यता दी गई। तभी से लेकर प्रत्येक वर्ष 8 मार्च को पूरी दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाने लगा।
इस वर्ष 2025 का थीम 'एक्सलरेट एक्शन' का उद्देश्य जीवन के सभी क्षेत्रों में महिलाओं के समावेशन को बढ़ावा देना है। यह थीम सामाजिक न्याय, विकास, सामाजिक-आर्थिक समानता, स्वास्थ्य और शैक्षिक परिणामों में सुधार सहित शांतिपूर्ण व स्वस्थ समाज निर्माण की दिशा में कार्रवाई में तेजी लाने पर बल देती है।इस दिवस पर अपने जीवन में महिलाओं के योगदान को सराहें और उनकी उपलब्धियों का जश्न मनाएं। कार्यस्थल, शिक्षा और समाज के अन्य क्षेत्रों में महिलाओं को समान अवसर देने के लिए नीतियों और प्रक्रियाओं में सुधार करें। महिला उद्यमियों और पेशेवरों को प्रोत्साहित करें और उनके प्रयासों में सहयोग दें।
यह दिन हमें प्रेरित करता है कि हम मिलकर एक ऐसा समाज बनाएं, जहां महिलाओं को समान अधिकार, सम्मान और अवसर मिले। जिससे वैश्विक स्तर पर समावेशी और प्रगतिशील समाज का निर्माण हो सके।
*(लेखक मीनाक्षी नेत्रालय की निदेशक, जानी-मानी दंत चिकित्सक व पर्यावरणविद् हैं)
By Madhu Sinha
0 टिप्पणियाँ