RANCHI,JHARKHAND#*झारखंड की 28 प्रगतिशील महिलाओं की कहानी* *सामाजिक सशक्तिकरण की दिशा में सराहनीय पहल *

RANCHI,JHARKHAND#*झारखंड की 28 प्रगतिशील महिलाओं की कहानी*

*सामाजिक सशक्तिकरण की दिशा में सराहनीय पहल *

रांची, झारखंड ।

 वर्तमान समय में महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रगति पथ पर अग्रसर रहने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इससे सामाजिक नवनिर्माण और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिल रहा है। 

इस दिशा में झारखंड की कुछ महिलाओं ने उल्लेखनीय कार्य किए हैं, जो मील का पत्थर साबित हो रहे हैं। 

 सूबे की 28 महिलाओं ने नागरिक सेवा केंद्र व सिविल सोसाइटी से मिले प्रशिक्षण-प्रोत्साहन के उपरांत समाज में अनूठी पहल कर विशिष्ट पहचान स्थापित की है।

  इन महिलाओं ने जहां एक ओर अपनी निजी दशा-दिशा में परिवर्तन किया ही। साथ ही खुद के संघर्ष से मिली सीख के जरिए अपने आसपास रहने वाले समुदाय और अन्य जरूरतमंद महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत  हैं। इसके अलावा ये सशक्त महिलाएं आज नई परिस्थिति में खुद को आत्मनिर्भर बनाकर दूसरों को सशक्त करने की मुहिम में जुटी हैं। इन्ही महिलाओं पर प्रोफेशनल असिस्टेंस फोर डेवलपमेंट एक्शन (प्रदान) ने 59 पृष्ठ की प्रभावशाली परिवर्तन के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं पर आधारित कहानियां उत्कृष्टता का ब्लू प्रिंट तैयार किया है। जिसमें 52 नागरिक सेवा केंद्र की टीम ने अहम भूमिका निभाई है। इस कहानी में गोड्डा जिला के झिलुआ पंचायत की कर्णपुरा गांव में रहने वाली मरंगबिटी मुर्मू का वित्तीय संघर्षो और लेन-देन की कमी के कारण बैंक खाता वर्षों तक निष्क्रिय था। परंतु सिविल सोसाइटी के प्रयास से उसका खाता दोबारा चालू हुआ और उसमें थोड़ी सी राशि जमा कर भविष्य के लिए बचत करना शुरू की और नागरिक सुरक्षा स्कीमों के लिए पात्रता बन गई। गुमला के पालकोट की रहने वाली मिला देवी और उसके दिव्यांग पति वंशी साहू जो  वर्षों से राशन कार्ड नहीं होने से काफी मुश्किलों से गुजर रहे थे। सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने के बाद भी बिना राशन कार्ड के जिंदगी गुजर रही थी। परंतु एनएसके की दीदी से मुलाकात होने पर जिला आपूर्ति कार्यालय तक समस्या पहुंची और राशन कार्ड मिला। जिससे उनके परिवारिक की दैनिक हालात कुछ हद तक सुधर गई। गोडडा पोड़ेयाहाट के कस्तूरी पंचायत में बसे केराडीह गांव में स्थानीय लोग परेशान थे। लंबे समय राशन डीलर के द्वारा राशन आपूर्ति नहीं की जा रही थी। परंतु नागरिक सहायता केंद्र की दीदी नीतू टुडू के हस्ताक्षेप के बाद व लिखित शिकायत के बाद जांच हुई और गांव के लोगों का समाधान हो गया। शिकारीपाड़ा की सावित्री देवी के पति का देहांत हो गया था। जिसके कारण परिवारिक चुनौतियां काफी बढ़ गई। जिसमें एनएसके के साथियों का साथ मिला और ब्लॉक में विधवा पेंशन के लिए आवेदन जमा किया गया और कुछ दिनों के उसे पेंशन की राशि मिली। इसके बाद वह खुद दूसरी महिलाओं को प्रेरित करने की दिशा में जुट गई। इसी जिला की प्रियंका जन्म से दिव्यांग थी। परंतु उसे दिव्यांग प्रमाण नहीं मिला था। जिससे उसका उपचार और अन्य सरकारी सुविधा का लाभ लेने से वंचित थी। परंतु उसकी मां शोभा किरण महिला मंडल की सदस्य बनी और मार्गदर्शन के बाद अपनी पुत्री को स्वामी विवेकानंद निशशक्त पेंशन का लाभार्थी बनाया। अपनी प्रिंयका अपनी संघर्ष भरी यात्रा के माध्यम से दूसरों की भी मदद कर रही हैं। ऐसी ही कहानी जरीडीह ब्लॉक की विधवा गीता देवी की हैं, जिन्होंने छोटे से प्रयास के बल पर विधवा पेंशन पाई और उसके बदौलत आत्मनिर्भरता के लिए टोकरियां बनाकर बाजार में बेचकर अपना परिवार की जिम्मेवारी संभाली। गुमला कुरडेग के ओरिया पंचायत में महिलाओं ने स्कूल की दशा-दिशा सुधारने के लिए बीड़ा उठाई और बच्चों को मिलने वाले पौष्टिक भोजन की गुणवता में सुधार कराया। दुमका काठीकुंड ब्लॉक की झिकरा गांव की रत्नी देवी ने जीवन की कठिनाईयों को पार करते हुए देसी मुर्गी पालन में आत्मनिर्भर हुई और विधवा होने के बावजूद भी पूरे परिवार की जिम्मेवारी संभाली। इसके अलावा शिकारी पाड़ा की अनिता ने बुजूर्ग महिला बिलाशी देवी के आधार कार्ड की तकनीकी खामियों को दूर करवा वृद्धापेंशन दिलाने का काम की।



By Madhu Sinha 

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