RANCHI,JHARKHAND#आज दिनांक 11 मार्च 2023 को भारतीय जनतंत्र मोर्चा की कार्यकारिणी की बैठक रांची स्थित कार्यालय में संरक्षक माननीय श्री सरयू राय जी की अध्यक्षता में हुई।
जिसमें राज्य हित और जनहित के अन्य मुद्दे पर चर्चा हुई। विशेष तौर पर राज्य की नियोजन नीति का मामला सरकार और प्रतिपक्ष के बीच राजनीतिक लड़ाई का मुद्दा बनते जा रहा है. सरकार और प्रतिपक्ष मिलकर इसका सर्वसम्मत हल निकालने का प्रयास करें ताकि राज्य के युवा वर्ग को रोज़गार मिलने का मार्ग प्रशस्त हो. राज्य की पहली सरकार की नियोजन नीति को ख़ारिज करते हुए झारखंड हाईकोर्ट के पाँच न्यायाधीशों की खंडपीठ ने जो फ़ैसला दिया है उसमें निर्धारित बिन्दुओं को आधार बनाकर सत्ता पक्ष और विपक्ष को इस विषय का हल निकालने के लिए सार्थक बातचीत आरम्भ करना चाहिए. माननीय मुख्यमंत्री को इस बारे में एक सर्वदलीय बैठक बुलाने की पहल करनी चाहिए.
उल्लेखनीय है कि राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री श्री बाबू लाल मरांडी ने 2002 में जो स्थानीय नीति बनाया उसे ख़ारिज करते हुए झारखंड उच्च न्यायालय ने कतिपय सुझाव दिया है. न्यायालय के इस फ़ैसले को इस बीच बनी किसी भी सरकार ने अथवा किसी भी व्यक्ति ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती नहीं दिया है. 2013 में झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस गठबंधन की सरकार ने इस आधार पर स्थानीय/नियोजन नीति तैयार करने का प्रयास किया परंतु कामयाब नहीं हो सकी.
2016 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने इस आधार पर स्थानीयता को परिभाषित करते हुए एक नियोजन नीति बनाया. इस नीति के कतिपय प्रावधानों को भी झारखंड उच्च न्यायालय ने ख़ारिज कर दिया. यह नीति भी क्रियान्वित नहीं हो सकी.
इसके बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पहले तो विधानसभा में घोषित किया कि 1932 खतियान आधारित नियोजन नीति संभव नहीं है. पर कुछ माह बाद ही झामुमो और कांग्रेस गठबंधन की सरकार ने विधानसभा से 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीयता/ नियोजन नीति बनाने का विधेयक पारित करा दिया. माननीय राज्यपाल द्वारा यह विधेयक लौटाने के बाद इन्होंने किसी सर्वेक्षण को आधार बनाकर 2016 के पहले की नियोजन नीति को लागू करने का एलान कर दिया है जिसका विरोध विपक्ष कर रहा है और इसके विरोध में चल रही मुहिम का समर्थन कर रहा है.
इस परिप्रेक्ष्य मे प्रश्न उठता है कि
1. 2016 के पूर्व की नियोजन नीति क्या है जिसे वर्तमान सरकार लागू करना चाहती है ?
2. 2016 में लागू की गई नियोजन नीति क्या है और इस नीति को भाजपा-आजसू सरकार ने तैयार किया है तो फिलहाल वे इसे मानते हैं या नहीं ?
3. क्या 2016 के पूर्व की नियोजन नीति और 2016 में घोषित नियोजन नीति के विभिन्न बिन्दुओं की समीक्षा कर इसके आलोक में एक नई नियोजन नीति तैयार हो सकती है ?
4. क्या कोई भी नीति क़ायम रह सकती है जिसका कोई भी अंश संविधान के प्रावधानों के अनुरूप न हो ?
5.सरकार में शामिल दलों और शेष दलों को इस परिप्रेक्ष्य में बैठकर आगे की दिशा तय करनी चाहिए ताकि एक सर्वसम्मत और टिकाऊ नियोजन नीति बन सके जिससे राज्य के युवकों को रोज़गार का मार्ग प्रशस्त हो.
केंद्रीय अध्यक्ष धर्मेंद्र तिवारी ने कहा आज युवा गुमराह हैं प्रदेश में रोजगार नहीं मिल पा रहा है। आपसी भाईचारा खत्म हो रहा है। ऐसे समय में सरकार को नियोजन नीति स्पष्ट करनी चाहिए। यह हमारी नियोजन नीति है अधिकारी, पदाधिकारी, सरकारी सिस्टम सब इसको समझ सके। युवाओं में भ्रम की स्थिति ना रहे। आज के बैठक में श्री आशीष शीतल मुंडा, वीरेंद्र सिंह, मुकेश पांडे, मनोज सिंह, निरंजन सिंह, डॉक्टर सत्य प्रकाश मिश्र, अशोक ठाकुर, राजीव झा, टिंकू चौधरी, शिव शंकर ठाकुर, रणधीर, दुलाल कांति चौधरी, अशोक कुमार पहन, श्रीमती शिवानी लता, सुश्री बॉर्बी सिंह, श्रीमती रेनू तिवारी, श्रीमती मंजू देवी
By Madhu Sinha




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