RANCHI,JHARKHAND#16 जून 2022: भारतीय सेना में भी शॉर्ट टर्म कमीशन के तहत संविदा पर भर्ती कराने के मामले में झारखंड प्रदेश कांग्रेस जवाहर बाल मंच के स्टेट चीफ को-ऑर्डिनेटर तारिक अनवर ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने देश की जनता के साथ एक बार फिर छलने का काम किया है।
उन्होंने कहा कि अब भारतीय सेना में भी संविदा पर भर्ती का ऐलान करते हुए उन्हें अग्निवीर का दर्जा दिया इसमें उम्र सीमा साढे 17 साल से 21 साल की की यानी जब बच्चा बालिक होगा तब वह बेरोजगार रहेगा, इससे साफ जाहिर होता है कि केंद्र सरकार की क्या नियत है किस नियत के आधार पर उन्होंने यह नियम लागू की, भारतीय सेना में के तीन अंग है तीनों अंकित ट्रेनिंग की अलग प्रक्रिया थल सेना जिसमें पूर्व में भर्ती प्रक्रिया के दौरान भर्ती में चिन्हित अभ्यर्थियों की ट्रेनिंग 9 महीने की हुआ करती थी, एक सिविल माहौल से फौज के माहौल में ढलने के लिए एक सैनिक को 9 महीने की कड़ी ट्रेनिंग दी जाती थी उस ट्रेनिंग के पश्चात वह सेना में एक कुशल सैनिक बनता था और देश बॉर्डर ऊपर तैनात होकर दुश्मनों से मुकाबला करता था लेकिन इस नई नीति के अनुसार ट्रेनिंग प्रक्रिया 10 हफ्ते से 6 महीने की कर दी गई थल सेना के अंदर जो सैनिक भर्ती होते हैं उनकी बेसिक ट्रेनिंग 6 महीने की होती थी रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में यह कहा गया है कि जो सैनिक 6 महीने की ट्रेनिंग किया है वह पूर्णता तैयार होता है कि वह सारे हथियारों का प्रशिक्षण उसका उपयोग कुशलतापूर्वक बॉर्डर एरिया में कर सकता है यदि यह सच ठीक तो आज 70 सालों से फौज के अंदर जो ट्रेनिंग प्रक्रिया लागू है जो चल रही है वह क्या गलत चल रही थी।
उन्होंने कहा कि भारतीय सेना संविदा भर्ती प्रक्रिया में कहा गया है कि चार साल संविदा में काम कर चुके सैनिकों में से हर विशिष्ट बैच से 25 प्रतिशत सैनिकों को नियमित किया जाएगा तो ऐसे में 75 प्रतिशत प्रशिक्षित सैनिकोें को बेरोजगारी का मार झेलना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि केन्द्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह नई प्रशिक्षण प्रक्रिया से देश के नौजवानों को जो कह रहे जिसमें किसी भी प्रकार से देश के नौजवानों को टेक्निकल एवं ऑन स्टेनिंग 6 महीने के अंतर्गत देना संभव नहीं है क्योंकि वास्तविक दृष्टिकोण से देखा जाए तो साडे 17 साल की उम्र में बच्चे स्कूल से निकलते हैं उन्हें सैनिक की जीवन में सैनिक की कड़ी परिश्रम में ट्रेनिंग प्राप्त करने में कम से कम 9 महीने लगेंगे आज थल सेना के अंतर्गत बहुत से यूनिट आती है जिसमें आर्टलरी इन्फेंट्री एमसी आर्म्ड फोर्स इंजीनियरिंग कोर और कई ऐसी यूनिट्स आती है जिसमें टेक्निकल प्रशिक्षण की अति आवश्यक पडती है बिना टेक्निकल प्रशिक्षण के यह संभव नहीं है कि आधुनिक हथियार टेक्निकल प्रशिक्षण बिना प्राप्त की है देश के नौजवान उन चीजों का उपयोग युद्ध में दुश्मनों से लड़ने के लिए कर सकते हैं आज इस घोषणा में यह कहा गया है कि उन्हें डिग्री सर्टिफिकेट डिप्लोमा सर्टिफिकेट दिया जाएगा तो यह सोचने की बात है कि एक डिप्लोमा करने के लिए कम से कम 3 वर्ष डिग्री के लिए 4 वर्ष लगता है तब वह एक इंजीनियर बनता है राजनाथ सिंह कौन सी ट्रेनिंग देंगे कि 3 साल और 4 साल का जो ट्रेनिंग है वह 10 हफ्तों में कर देंगे आज के हमारे देश के नौजवानों को वह क्या प्रशिक्षण देंगे की जो प्रशिक्षण हमारे देश के सैनिक 2 साल में और 9 महीने में लिया करते हैं वाह उन्हें 10 हफ्ते में दे देंगे यह बहुत गलत डिसीजन है।
राजनाथ सिंह जी ने वार्ता में कहा गया है कि जवान 4 साल के बाद जब रिटायर करेंगे तो उन्हें वाप डिप्लोमा डिग्री के सर्टिफिकेट देंगे जिससे वह सिविल एरिया में कहीं भी नौकरी प्राप्त कर सकें । ऐसे में देश का भी रोजगार 4 साल में फौज के अंतर्गत हथियार चलाने की ट्रेनिंग के अलावा आप कौन सा प्रशिक्षण देंगे कि वह उसका उपयोग बेरोजगार होने पर कर सके
झारखंड प्रदेश कांग्रेस जवाहर बाल मंच के स्टेट चीफ को-ऑर्डिनेटर तारिक अनवर ने कहा कि मोदी सरकार ने अग्निपथ की नई योजनाओं को लागू कर तीनों सेनाओं के साथ छल कर रही है। केन्द्र सरकार का एक ही उद्देश्य है कि सैनिकों का बढ़ा हुआ वेतन और पेंशन को कम किया जाए। शर्ट टर्म कमीशन के तहत सैनिकों की भर्ती देशहीत में नही है।
By Madhu Sinha

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