9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस पर संविधान – लोकतंत्र संरक्षा का संकल्प !
"हेमंत सोरेन सरकार पेसा कानून को ज़मींनी स्तर पर प्रभावी बनाने की कार्य योजना बनाए"।
ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम की झारखण्ड ईकाई तथा हॉफमैन लॉ एसोसिएशन ने संयुक्त रूप से विश्व आदिवासी दिवस को अधिकार संकल्पना दिवस के रूप में मनाते हुए “ पांचवी अनुसूची और स्वशासन “ विमर्श कार्यक्रम का आयोजन किया.
फादर कामिल बुल्के सभागार र्में आयोजित इस कार्यक्रम की शुरुआत जन अधिकारों व आदिवासी सवालों के मुखर स्वर फादर स्टैन स्वामी कि तस्वीर पर माल्यार्पण करते हुए उन्हें व जल जंगल ज़मीन के संघर्षों तमाम शहीदों के प्रति मौन श्रद्धांजली से की गयी .
विमर्श का आधार वक्तव्य देते हुए जसम के जेवियर कुजूर ने कहा कि जैसे जैसे संविधान को प्रचंड बहुमत कि आड़ लेकर तहस नहस कर देश को ‘ वेलफेयर स्टेट ‘ से कॉर्पोरेट स्टेट में तब्दील किया जा रहा है , आदिवासी – मूलवासियों समेत सभी के संवैधानिक अधिकारों निष्प्रभावी बनाया जा रहा है . जिससे आदिवासियों के स्वशासन व्यवस्था का लागु होना भाजपा राज में नामुमकीन शा हो गया है .
अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ आदिवासी बुद्धिजीवी व एआइपीएफ़ प्रवक्ता प्रेमचन्द मुर्मू ने कहा कि दुर्भाग्य है कि हमारे नेता आदिवासियों से जुड़े मामलों की कोई जान्काई नहीं रखते . इसीलिए वर्षों से संरक्षित और संविधान प्रदत्त अदिवासियों के आत्मनिर्णय जैसे अधिकारों को दबाया जाटा है तो वे तमाशाई ही बने रहते हैं . है . ऐसे में हमें आदिवासी समुदायों के साथ अन्य सभी पीड़ित समुदायों की व्यापक समझ आधारित एकता बनानी होगी .
वरिष्ठ झारखण्ड आन्दोलनकारी व आदिवासी मालों के जानकार प्रभाकर तिर्की ने कहा कि सेज व ग्लोबलाइजेशन जैस नीतियों जब थोपी जा रहीं थीं तो हम जागरूक होकर विरोध नहीं किये . उसी का दुष्परिणाम है कि आज सरकारें विकास का सब्जबाग दीखाकर आदिवासियों की संरक्षा हेतु बने पांचवी अनुसूची जैसे संविधानिक अधिकारों को निष्प्रभावी बना रहीं हैं . जिसके मुकाबले के लिए हमें आपसी बिखराव ज़ल्द से ज़ल्द दूर करने होंगे .
आदिवासी मामलों व कानूनों के विशेषग्य एडवोकेट रश्मि कात्यायन ने कहा कि वर्तमान सरकार का जो संविधान विरोधी रवैया है , वह कभी भी पांचवी अनुसूची कोभी हटा दे सकती है . राज्य गठन के इतने वर्षों बाद भी झारखण्ड में पेसा कानून को लागू करने की होस निति नहीं बनायी गई . उलटे राज्य में काबिज़ हुई भजपा शासन में वर्तमान के केन्द्रीय आदिवासी मंत्री ‘ उप ‘ का प्रावधान जोड़कर इसे लागू ही नहीं होने दिया . ह्में हर हाल में अपनी ज़मीन बचाने की लड़ाई को तेज करना होगा वरना कुछ नहीं बचेगा .
आदिवासी मुद्दों के विचारक वाल्टर कंडूलाना ने कहा कि संविधान प्रदत्त पांचवी अनुसूची के अधिकारों पर बढ़ते हमले के मूल में हैं मुनाफे के लिए वैश्वीकरण की आर्थिक नीतियों को जबरन थोपा जाना . जिसके खिलाफ एक व्यापक जनजागरूक़ अभियानों को संगठित करना होगा .
वरिष्ठ शिक्षाविद-आंदोलनकारी आदिवासी बुद्धिजीवी डॉ करमा उरांव ने आदिवासी दिवस की महत्ता को रेखांकित करते हुए सरकार से जनाकांक्षाओं को पूरा करना का जोर दिया.
स्वागत करते हुए एडवोकेट फादर महेंद्र पिटर तिग्गा ने संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा आदिवासी अधिकारों के साथ जन अधिकारों के प्रति व्यापक सामाजिक जागरूकता कि अवश्यकत बतायी.
बार काउन्सिल से जुड़े जन अधिकारों कि आवाज़ उठानेवाले वरिष्ठ एडवोकेट ए के राशिदी ने कहा देश का लोकतंत्र और संविधान ही खतरे में पड़ता जा रहा है तो पांचवी अनुसूची के अधिकार भी ख़त्म किये जा सकते हैं . हमारे जन प्रतिनिधियों को जनता के सवालों के साथ खड़े होना होगा .
aipf कि युवा एक्तिविष्ट तारामणि साहू ने आदिवासी महिलाओं पर बढती हिंसा का सवाल उठाते हुए चाईबासा जिले में राजबसा गाँव में आदिवासी महिलाओं पर हुई भीड़ हिंसा का मुद्दा उठाया .
विमर्श कार्यक्रम की ओर से फोरम के अनिल अंशुमन ने प्रस्ताव प्रस्तुत किया जिसमें मांग की गयी कि –1. झारखण्ड सरकार अविलम्ब पेसा कानून लागू करने के लिए प्रभावी कार्ययोजना बनाये.
2. पत्थलगड़ी आन्दोलन के दौरान पिछली सरकार द्वारा किये गए राजद्रोह समेत सभी फर्जी मुकदमों को हटाने की घोषणा को लागु करने के लिए विशेष अध्यादेश लाकर कोर्ट में ‘ स्टे ‘ लगवाए .
3. झारखण्ड कि जेलों में बंद सभी विचाराधीन कैदियों की अविलम्ब रिहाई के लिए कारगर क़दम उठाये .
विस्थापन विरोधी आंदोलन के दामोदर तुरी एव झारखंड जनाधिकार महासभा के प्रवीर पीटर ने भी आपने विचार रखें.
कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन फोरम के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्त्त कुमार वरुण ने दिया.
कार्यक्रम के आयोजक थे – प्रेमचन्द मुर्मू , वाल्टर कन्दुलना , नदीम खान , जेवियर कुजूर व तारामणि साहू थे.
कार्यक्रम में रश्मि पिंगुवा,प्रभाकर नाग,इमरान खान,अलीम खान अखिलेश,आकाश रंजन, नंदनी भट्टाचार्य एव अन्य उपस्थित थे.
By Madhu Sinha



0 टिप्पणियाँ