जितेंद्र कुमार गुप्ता, निदेशक खादी और ग्रामोद्योग आयोग, ने झारखंड वासियों को आजादी की 75वीं अमृत महोत्सव के शुभकामना के साथ प्रदेश के युवा किसानों और जागरूक नागरिकों से अनुरोध किया कि स्वरोजगार को अपनाएं।

 जितेंद्र कुमार गुप्ता, निदेशक खादी और ग्रामोद्योग आयोग, ने झारखंड वासियों को आजादी की 75वीं अमृत महोत्सव के शुभकामना के साथ प्रदेश के युवा किसानों और जागरूक नागरिकों से अनुरोध किया कि स्वरोजगार को अपनाएं।


सर्वप्रथम श्री जितेंद्र कुमार गुप्ता, निदेशक खादी और ग्रामोद्योग आयोग, राज्य कार्यालय, रांची की ओर से समस्त झारखंड वासियों को आजादी के 75 भी अमृत महोत्सव के शुभ अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं दी।


उन्होंने कहा कि जैसा कि हम सब जानते हैं, इस समय देश में कुटीर एवं लघु उद्योगों पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है, जिससे ना केवल सीमित नौकरी के अवसर पर दबाव कम होगा बल्कि हमारे देश के बेरोजगारों को अपने गांव घर में ही रहते हुए  स्वरोजगार के ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलेंगे, और उनकी दूसरे पर निर्भरता कम होगी एवं देश भी आत्मनिर्भर होगा।

इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु खादी और ग्रामोद्योग आयोग जो की सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्यरत है। आयोग, भारत की कई महात्वाकांक्षी योजनाओं को क्रियान्वित कर रही है, जिसका मूल उद्देश्य बेरोजगारों को स्वरोजगार के नए अवसर प्रदान करना है। आयोग का राज्य कार्यालय रांची के अल्बर्ट एक्का चौक पर अवस्थित है, जहां पर संबंधित व्यक्ति व्यक्तिगत रूप से जाकर आयोग की योजनाओं की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। योजनाओं का विस्तृत विवरण हमारी वेबसाइट www.kvic.org.in से प्राप्त किया जा सकता है।

पी.एम.ई.जी.पी. ---

इस कड़ी में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पी.एम.ई.जी.पी.) भारत सरकार की एक अति महत्वाकांक्षी योजना है, जिसका राष्ट्रीय नोडल अभिकरण खादी और ग्रामोद्योग आयोग (आयोग) है एवं क्रियान्वयन एजेंसियां --- स्वयं आयोग, खादी ग्रामोद्योग बोर्ड एवं जिला उद्योग केंद्र है। आयोग एवं बोर्ड सिर्फ ग्रामीण क्षेत्र में पी.एम.ई.जी.पी. के आवेदनों को बैंक में अग्रसारित करते हैं एवं जिला उद्योग के कार्यालय ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र दोनों के आवेदनों को बैंक में अग्रसारन करते हैं। इस योजना का सृजन आर.ई.जी.पी. एवं पी.एम.आर.बाई. को मिलाकर वर्ष 2008 में की गई। इसके तहत विनिर्माण क्षेत्र में रु.25.00 लाख एवं सेवा में क्षेत्र में रु.10.00 लाख की अधिकतम परियोजना पर आरक्षित वर्ग के लाभार्थियों को 35 प्रतिशत सब्सिडी एवं सामान्य वर्ग के लिए 25प्रतिशत सब्सिडी का प्रावधान है। इसी योजना के तहत पूर्व में स्थापित इकाइयों को अपडेट करने का भी प्रावधान है, जिसने निर्माण क्षेत्र की इकाइयों हेतु 1.00 करोड़ तक और सेवा क्षेत्र के लिए रुपीस 25.00 लाख की वित्तीय सहायता का प्रावधान है। इसमें सभी श्रेणियों को 15 प्रतिशत एवं उत्तर पूर्वी एवं पहाड़ी राज्यों के लिए 20 प्रतिशत की मार्जिन राशि का प्रावधान है। पी.एम.ई.जी.पी. योजना का लाभ ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने हेतु आयोग समय समय पर जागरूकता शिविर एवं समाचार पत्रों में विज्ञापन देती है ताकि जन जन तक इसकी जानकारी पहुंच सके एवं भारत सरकार द्वारा प्राप्त होने वाली सब्सिडी की राशि का लाभ किस राज्य की जनता को प्राप्त हो सके। पी.एम.ई.जी.पी. योजना का सहारा प्रबंधन आवेदन करने से लेकर बैंक से ऋण स्वकृति एवं सब्सिडी प्राप्ति, ऑनलाइन क्या जाता है।

स्फूर्ति योजना ---

यह योजना एम.एस.एम.ई. भारत सरकार की अति महत्वपूर्ण योजना है, जिसका उद्देश्य पारंपरिक उद्योगों का पुनरुत्थान है। इसके तहत पारंपरिक कारीगरों की आय में वृद्धि एवं नियमित रोजगार के अवसर प्रदान करने हेतु सरकारी एवं गैर- सरकारी अभीकरणों/एन.जी.ओ. के माध्यम से सुविधानुसार वर्कशेड का निर्माण किया जाता है, जिसमें अद्यतन तकनीकी के आधुनिक मशीन कॉमन वर्कशेड में लगाए जाते हैं, ताकि उनके द्वारा निर्मित सामान को प्रशोधित एवं पैकेजिंग कर सही प्रकार से विपणन किया जा सके। इस योजना के तहत दो प्रकार के क्लस्टर का प्रावधान है---नियमित क्लस्टर------इसके अंतर्गत 500 कारीगरों तक के कलस्टर को  ₹250.00 लाख की लागत व्यय एवं प्रमुख या बड़े कलस्टर-----जिसके अंतर्गत 500 से अधिक कारीगरों के कलस्टर हेतु रु.500.00 लाख की लागत व्यय का प्रावधान है, जिस की 90% राशि सरकारी अनुदान है और 10% कार्यान्वयन संस्था का अंश है, पूर्वोत्तर क्षेत्र की संस्था के लिए 5% रखी गई है। किस राज्य में स्फूर्ति योजना के तहत भगैया (साहिबगंज) में खादी सिल्क कलस्टर सिल्क के पारंपरिक कारीगरों को सहायता प्रदान करने हेतु स्थापित की गई है। इसी तरह बिशुनपुर, गुमला में मल्टी प्रोडक्ट कलस्टर वहां के स्थानीय कारीगरों के सहायतार्थ स्थापित की गई है। हजारीबाग जिला के बिशनगढ़ में वहां के स्थानीय कसेरा कारीगर पारंपरिक कांसे के बर्तन बनाते हैं, उनके सहायतार्थ स्फूर्ति योजना के तहत कलस्टर की स्थापना अंतिम चरण में है। आयोग समय-समय पर बैठक कर अन्य पारंपरिक क्लस्टरों के विकास हेतु वहां के स्थानीय अभिकरणों को आगे आने का आमंत्रण देती रही है।

"खादी" शब्द से भारत देश का जन-जन वाकिफ है, क्योंकि खादी नासिर वस्त्र/कपड़ा है बल्कि यह एक विचार है जो हमेशा हमें आत्मनिर्भरता एवं स्वतंत्रता की याद दिलाती है। खादी का आजादी की लड़ाई में एक प्रमुख सकारात्मक भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि महात्मा गांधी जी ने इसी को आत्मनिर्भरता का हथियार बनाकर लोगों को एकजुट किया था जिसके कारण आज हम आजाद भारत में आजादी से सांस ले पा रहे हैं। वर्तमान समय में खादी एक पारंपरिक वस्त्र के साथ ही साथ आधुनिक फैशन के वस्त्र के रूप में उभर कर सामने आई है। खादी कपड़े का निर्माण हमारी सीधी सूची की खादी की संस्थाओं के माध्यम से सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे कत्तीन बुनकरों द्वारा हाथ से ही कताई बुनाई किया जाता है। खादी का कार्य नियमित कार्यों के साथ-साथ अंशकालिक रूप से किए जाते हैं।इन खादी कारीगरों के सहायतार्थ आयोग खाली कपड़े का उत्पादन पर एम.एम.डी.ए. प्रदान करती है, जिसका भुगतान संबंधित कारीगरों के खाते में ऑनलाइन डीबीटी के माध्यम से किया जाता है। नई-नई खादी संस्थाओं के पंजीकरण हेतु आयोग द्वारा 'खादी संस्था पंजीकरण और परमाणन सेवा (के.आई.आर.सी.एस.)' नामक पोर्टल विकसित की गई है। वर्तमान समय में जन जन तक खादी वस्त्रों को पहुंचाने की आवश्यकता है, ताकि खादी की बिक्री बढ़े और ज्यादा से ज्यादा कत्तीन बुनकरों को रोजगार मिले। कमजोर खादी की संस्थाओं को सहायता प्रदान करने हेतु 'Strengthening infrastructure of Exiting Weak Khadi Institutions' के तहत रु.10.00 लाख तक की सहायता राशि दी जाती है तथा खादी संस्थाओं की बिक्री बढ़ाने हेतु Bhawan Renovation Scheme के तहत भी सहायता राशि दी जाती है।

वर्तमान परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में एम.एस.एम.ई., भारत सरकार द्वारा असंगठित क्षेत्र के कारीगरों के जीवन स्तर में सुधार लाने हेतु विभिन्न ग्रामोद्योगी की योजनाओं का प्रावधान किया गया है :-------

हनी मिशन :---चुकी झारखंड में जंगल एवं विविध वनस्पतियों की प्रचुरता है, इसके मद्देनजर आयोग, भारत सरकार के दिशा निर्देश के अनुसार प्रत्येक वर्ष मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण प्रदान कर प्रशिक्षितों कोमधुमक्खी पालन के बक्से एवं टूल - किट्स उपलब्ध करा रही है। वर्ष 2017-18 में 2000 मौन वंश , वर्ष 2019-20 में 800 मौन वंश एवं वर्ष 2020-21 में 850 मौन वंश का वितरण किया गया था ताकि बेहतर रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सके। वर्तमान वित्तीय वर्ष 2021-22 में भी 400 मौन वंश के वितरण का लक्ष्य राज्य कार्यालय रांची को प्राप्त हुआ है। हम इस प्रदेश के युवा किसानों एवं जागरूक नागरिकों से अनुरोध करते हैं कि स्वरोजगार हेतु मधुमक्खी पालन पर भी विचार करें जिससे न केवल उनकी आमदनी बढ़ेगी बल्कि मधुमक्खियों द्वारा Pollination से खेती के पैदावार में भी बढ़ोतरी होगी।


कुम्हार सशक्तिकरण कार्यक्रम ------ इस कार्यक्रम के तहत न पारंपरिक कुम्हारी के व्यवसाय से जुड़े कारीगरों को बिजली चालित चाक का वितरण उनके प्रशिक्षण के उपरांत की जाती है ताकि वे कम समय में ज्यादा से ज्यादा हूं गुणवत्ता के बर्तन आदि बना सके जिससे उनकी आय में वृद्धि हो सके। वर्ष 2019-20 में 160 परिवारों को बिजली चालित चाक का वितरण चाईबासा (पश्चिम सिंहभूम), देवघर तथा बिशुनपुर (गुमला) में किया गया था तथा पिछले वर्ष 2020-21 में 10 स्वयं सहायता ग्रुप के माध्यम से 100 परिवारों को प्रशिक्षण के उपरांत चाईबासा एवं हजारीबाग में बिजली चालित चाक का वितरण किया गया था। इस वर्ष भी लक्ष्य की प्राप्ति के उपरांत चाक वितरण कार्यक्रम किया जाना है।

मोची मिशन कार्यक्रम ----- इस कार्यक्रम के तहत भी पारंपरिक मोची कारीगरों को आधुनिक तरीके से जूते चप्पल बनाने एवं मरम्मत करने बाबत प्रशिक्षण देकर उन्हें टूल किट्स उपलब्ध कराए जाते हैं। वर्ष 2019- 20 में कुल 70 चर्मकारों को इस बाबत प्रशिक्षण उपरांत टूल किट्स दिए गए। वर्तमान वित्तीय वर्ष 2021-22 में बजट प्राप्ति के उपरांत 140 व्यक्तियों को प्रशिक्षण देकर टूल किट्स का वितरण किया जाना है ताकि पारंपरिक उद्योग को बढ़ावा मिले एवं उनकी आय में बढ़ोतरी हो सके।

पायलट प्रोजेक्ट ऑफ मैन्युफैक्चरिंग ऑफ़ फुटवियर :----- इस कार्यक्रम के तहत वर्तमान वित्तीय वर्ष में 4 स्वयं सहायता समूह का चयन पी.सी.बी.आई. इंडस्ट्री के तहत किया गया है, प्रधान कार्यालय के बजट प्राप्ति के उपरांत जिन्हें प्रशिक्षण देकर मशीन उपलब्ध कराए जाएंगे।

वेस्ट उड क्राफ्ट (आर.ई.आई.):----इस योजना के तहत ग्रामीण अभियांत्रिकी के तहत सजावटी पैनल, बर्तन, मूर्ति, जरूरी सामान, लकड़ी के खिलौने, सजावटी सामान बनाने हेतु कारीगरों का चयन कर उन्हें प्रशिक्षण देकर मशीन/टूल किट्स आदि मुहैया कराई जाती है। वर्तमान वित्तीय वर्ष 2021-22 में देवघर जिला से 40 कारीगरों का चयन किया गया है, जिन्हें 20 दिनों का 'वेस्ट उड क्राफ्ट' का प्रशिक्षण Raiganj Institute of Inspiration and Empowerment for Livelihood Generation Kolkata के माध्यम से दिया जाना है।


पायलट प्रोजेक्ट ऑफ अगरबत्ती मैन्युफैक्चरिंग :------ इस योजना के मास्टर ट्रेनर दारा अगरबत्ती बनाने हेतु 10 दिनों का प्रशिक्षण दिया जाता है उसके उपरांत अगरबत्ती बनाने की मशीन का वितरण किया जाता है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में 40 महिलाओं को इस बाबत चुना गया है, जिन्हें प्रशिक्षण के उपरांत नि:शुल्क मशीन उपलब्ध कराई जाएगी।


इन सबके अतिरिक्त आयोग योजनाओं का भी परिचालन कर रही है, जिसके बारे में विस्तृत जानकारी हमारी वेबसाइट के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।


यह सभी योजनाओं के बारे में बता कर निदेशक श्री जितेंद्र कुमार गुप्ता जी ने एक बार पुनः पत्र भी अमृत महोत्सव के शुभ अवसर पर देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं दी।



By Madhu Sinha


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