Chandankiyari : शहीद निर्मल महतो की 38वीं शहादत दिवस पर अलकुशा में दी गई श्रद्धांजलि ।

Chandankiyari : शहीद निर्मल महतो की 38वीं शहादत दिवस पर अलकुशा में दी गई श्रद्धांजलि ।

चन्दनकियारी, बोकारो, झारखंड ।

 झारखंड आंदोलन के महानायक और युवाओं के प्रेरणा स्रोत शहीद निर्मल महतो की 38वीं शहादत दिवस आज इलेक्ट्रो स्टील वेदांता चौक, अलकुशा में श्रद्धापूर्वक मनाई गई। इस अवसर पर बड़ी संख्या में स्थानीय लोग, सामाजिक कार्यकर्ता और आंदोलनकारी नेता मौजूद रहे। अध्यक्षता स्मारक समिति के अध्यक्ष ज्योतिलाल महतो व संचालन मुखिया रोहित रजक ने किया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आजसू के जिलाध्यक्ष सचिन महतो ने कहा कि "निर्मल बाबू ने जल, जंगल, जमीन और झारखंड की अस्मिता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। उनका सपना था कि झारखंड की जनता खुशहाल और आत्मनिर्भर बने। हमें उनके विचारों को अपनाकर उनके अधूरे सपनों को पूरा करना होगा।"

निर्मल महतो ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) के संस्थापक थे और उन्होंने छात्र शक्ति को संगठित कर झारखंड आंदोलन को नई ऊर्जा दी। 25 अगस्त 1987 को जमशेदपुर में उनकी शहादत हुई, जिसने आंदोलन को और प्रखर बना दिया।

शहीद के सपनों का झारखंड आज भी अधूरा: जगन्नाथ रजवार!

झारखंड आंदोलन के अमर शहीद और युवाओं के प्रेरणा स्रोत निर्मल महतो की 38वीं शहादत दिवस पर शुक्रवार को शहीद निर्मल महतो चौक, अलकुशा में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

इस अवसर पर शहीद निर्मल महतो स्मारक समिति, अलकुशा की ओर से प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया।

कार्यक्रम के दौरान स्मारक समिति के सह-संयोजक और पूर्व प्रत्याशी जगन्नाथ रजवार ने कहा कि झारखंड के माटी पुत्र वीर शहीदों का कर्ज वर्तमान सरकार और विपक्ष दोनों पर है।

जगन्नाथ रजवार ने कहा कि निर्मल दा के साहस, मूल्य, आदर्श और विचार हमारे अंतर्मन में हमेशा बसते रहेंगे।

उनकी दूरदृष्टि और सोच का ही परिणाम अलग झारखंड राज्य का निर्माण है।

उन्होंने भाषा, संस्कृति, विचार और अस्मिता की रक्षा के साथ शोषण-विहीन झारखंड की कल्पना की थी।

लेकिन, रजवार के अनुसार, “अलग राज्य बना जरूर है, पर शहीद के सपनों का झारखंड आज भी अधूरा है। मौजूदा पीढ़ी और हम जैसे युवाओं का दायित्व है कि उनके अरमानों और राज्य गठन के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए संघर्ष के पथ पर आगे बढ़ें और इसे अंजाम तक पहुंचाएं।”

शहादत के सवाल और राजनीतिक चुप्पी

जगन्नाथ रजवार ने निर्मल दा की शहादत पर भी गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि उनकी हत्या जिन परिस्थितियों में हुई, वह दशकों बाद भी उनके चाहने वालों का दिल कचोटती है। “लोग अब भी जानना चाहते हैं कि किस राजनीतिक षड्यंत्र के तहत उनकी हत्या की गई। इस कांड के सूत्रधार का खुलासा होना चाहिए। शहादत दिवस पर हम सभी संकल्प लें कि इस सच को सामने लाएंगे।”

कार्यक्रम का समापन शहीद निर्मल महतो की प्रतिमा पर पुष्पांजलि और उनके विचारों को आत्मसात करने के संकल्प के साथ किया गया।

शहीद निर्मल महतो स्मारक समिति के अध्यक्ष ज्योति लाल महतो ने बताया कि हर वर्ष शहादत दिवस पर यह आयोजन इसलिए किया जाता है, ताकि आने वाली पीढ़ी उनके संघर्ष से प्रेरणा ले सके।

कार्यक्रम में झामुमो संस्थापक सदस्य दुर्गा चरण महतो, अश्वनी महतो, अशोक महतो, लखिंदर महतो, सियालजोरी पंचायत के पुर्व मुखिया सीताराम महतो, मुखिया प्रदीप कुमार, मिथिलेश महतो, बासुदेव रजवार, जिला परिषद सदस्य सुशैन रजवार, इस्लाम अंसारी, दुर्गाचरण महतो, लालमोहन महतो, भागीरथ महतो, दशरथ महतो, अझीर साईं, मेराज साईं, अनिल महतो, दर्जनों लोग उपस्थित थे।





Report By Mahendra Mahato (Chandankiyari, Bokaro, Jharkhand)

By Madhu Sinha 

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