DELHI#*राज्यसभा सदस्य दीपक प्रकाश ने पूछे सवाल*
*केंद्र झारखंड में लगभग 2.37 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई क्षमता सृजित करेगी: केंद्रीय मंत्री*
*झारखंड़ में 79.7 प्रतिशत भूमि सिंचाई के लिए वर्षा पर निर्भर है*
*केंद्र की मोदी सरकार ने 7 सालों में झारखंड़ में सिंचाई हेतु निर्गत की 756.73 करोड़ रुपये*
राज्यसभा में भाजपा के सचेतक सह झारखंड़ भाजपा के निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने राज्यसभा में अपने अतारांकित प्रश्न के माध्यम से झारखंड़ में सिचिंत भूमि से सम्बंधित जानकारी मांगी.श्री प्रकाश ने पूछा कि झारखंड़ की कृषि जल पर निर्भरता देश की कुल कृषि जल पर निर्भरता की तुलना में काफी अधिक है. इसकी सुधार हेतु क्या कदम उठाये जा रहे है.
श्री प्रकाश के सवालों के जबाब में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के आर्थिक सांख्यिकी एवं मूल्यांकन के अनुसार वर्ष 2012-13 से 2021-22 में देश भर में बोए गए 141.01 मिलियन हेक्टेयर शुद्ध क्षेत्र में से लगभग 63.09 मिलियन हेक्टेयर असिंचित/वर्षा सिंचित है जो 44.7 प्रतिशत है. जबकि झारखंड के मामले में 1.38 मिलियन हेक्टेयर शुद्ध क्षेत्र में से 1.10 मिलियन हेक्टेयर असिंचित वर्षा सिंचित है जो 79.7 प्रतिशत है।
*केंद्र सरकार प्रति बूंद अधिक फसल (पीडीएमसी) की केंद्र प्रायोजित योजना को भी कार्यान्वित कर रही है*
श्री चौहान ने बताया कि वर्षा सिंचित क्षेत्र की संवेदनशीलता के मुद्दे का समाधान करने के लिए, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग झारखंड सहित पूरे देश में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के एक घटक के रूप में वर्षा आधारित क्षेत्र विकास (आरएडी) कार्यक्रम को कार्यान्वित कर रहा है। वर्ष 2014 से 2024 तक झारखंड राज्य में आरण्डी के तहत 0.10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया गया है।
इसके अलावा, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (डीएएंडएफडब्लू) वर्ष 2015-2016 से देश में प्रति बूंद अधिक फसल (पीडीएमसी) की केंद्र प्रायोजित योजना को भी कार्यान्वित कर रहा है। वर्ष 2015-16 से 2023-24 तक झारखंड में पीडीएमसी के तहत 0.41 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया गया है।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि झारखंड सहित देश भर में उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए कृषि मंत्रालय कृषि यंत्रीकरण उप-मिशन, राष्ट्रीय खाद्य और पोषण सुरक्षा मिशन, राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन, परंपरागत कृषि विकास योजना, डिजिटल कृषि,समेकित विकास बागवानी मिशन, बीज हब कार्यक्रम, मृदा स्वास्थ्य मिशन आदि कार्यक्रम की कार्यान्वित कर रही है.आईसीएआर सतही और भूजल संसाधनों के संयुक्त उपयोग की सलाह देता है.
*झारखंड़ में कुल 4690 जल संचयन संरचनाओं का निर्माण/पुनरुद्धार किया गया है*
श्री चौहान ने बताया कि झारखंड राज्य द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार, वर्ष 2014-15 से 2021-22 तक कुल 4690 जल संचयन संरचनाओं का निर्माण/पुनरुद्धार किया गया है और 5233 हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र को डब्ल्यूडीसी के तहत सुरक्षात्मक सिंचाई के अंतर्गत लाया गया है।
डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई के अनुमोदन के बाद से, 393.53 करोड़ रुपये (236.118 करोड़ रुपये का केंद्रीय हिस्सा) की कुल लागत पर 1.48 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करने वाली कुल 30 पनधारा परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है और अब तक केंद्रीय हिस्से के रूप में 132.45 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं. वर्ष 2022-23 के दौरान डब्ल्यूडीसी-2.0 के अंतर्गत कुल 1115 जल संचयन संरचनाओं का निर्माण/पुनरुद्धार किया गया है तथा 1523 हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र को सुरक्षात्मक सिंचाई के अंतर्गत लाया गया है.
श्री चोयहाँ ने बताया कि जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग, जल शक्ति मंत्रालय झारखंड में लगभग 2.37 लाख हेक्टेयर की चरम सिंचाई क्षमता सृजित करने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी) के अंतर्गत सुवर्णरेखा बहुउद्देशीय परियोजना को कार्यान्वित कर रहा है. वर्ष 2016-17 से 2022-23 तक इस परियोजना के लिए केंद्रीय सहायता के रूप में 756.73 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई है. दिनांक 31.3.2024 तक परियोजना के तहत 1.43 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता सृजित की गई है.
By Madhu Sinha
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