RANCHI,JHARKHAND#शहीदों व उनके परिजनों को मिले उचित सम्मान - अजय नाथ शाहदेव.!
*अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव की शहादत दिवस सादगी के साथ मनाया गया.!
प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सिपाही विद्रोह के जननायक अमर सेनानी ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव की शहादत दिवस अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव अध्ययन केंद्र के तत्वाधान में ऐतिहासिक *हटिया स्थित शहादत स्मारक स्तंभ* के प्रांगण में मनाया गया। शहादत दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि पूर्व उपमहापौर अजय नाथ शाहदेव व विशिष्ट अतिथि धर्मेंद्र तिवारी अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव के तैलचित्र पर माला चढ़ा कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया। इस अवसर पर अध्ययन केंद्र के सदस्यो सहित कई गणमान्य लोगों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किया। *श्री शाहदेव ने अपने संबोधन में कहा* कि अमर शहीद के जीवनी को पाठ्य पुस्तकों में शामिल किया जाए। उन्होंने बताया कि आज के ही दिन 16 अप्रैल 1858 को रांची जिला स्कूल के समक्ष कदम के वृक्ष की डाली पर प्रातः 5:30 बजे अंग्रेजों द्वारा उनको फांसी पर लटका दिया गया था। इनकी पूरी बड़कागढ़ ईस्टेट को अंग्रेजों ने अपने अधीन कर ली। ठाकुर का गढ़ हटिया स्थित चिरनागढ़ को तोप से मारकर ध्वस्त कर दिया गया था। उनकी धर्मपत्नी और एकमात्र पुत्र को मारने का ब्रिटिश सरकार ने षड्यंत्र रचा। जिसके परिणाम स्वरूप ठकुरानी को गढ़ छोड़कर भागना पड़ा और 12 साल निर्वासित जीवन गुमला स्थित खोरहा जंगल में बिताया। तब भी अंग्रेजी सरकार अपने गुप्तचरों के माध्यम से पता करते रहे , परंतु उन्हें खोज नहीं सके। मिताक्षरी कानून के तहत जब उनके पुत्र ठाकुर कपिल नाथ शाहदेव का उम्र 13 वर्ष हो गया, तब ही रानी प्रकट हो गई और कोलकाता विलियम फोर्ट में केस दर्ज किया। परंतु रानी को निराशा ही हाथ लगी । उन्हें बड़कागढ़ स्टेट वापस करने से इंकार कर दिया गया । अदालत ने फैसला दिया रानी और उसके पुत्र के जीविका के लिए राज्य से आने वाले लगान में से प्रतिमा ₹30 दिया जाएगा और एक खपरैल का मकान रानी के लिए बनवा दिया जाएगा । जो 1880 में जगन्नाथपुर में बनवा दिया गया। रानी यहीं पर निवास करने लगी आज इनके सातवे पीढ़ी के प्रत्यक्ष उत्तराधिकारी ठाकुर सुधांशु नाथ शाहदेव अपने परिवार जनों के साथ निवास कर रहे हैं । इसके बावजूद लड़ाई जारी रही जो आज भी लड़ाई जारी है।
*वहीं लाल सूरज नाथ शाहदेव ने कहा* कि अंग्रेजों की सजा आज भी उनके परिवार झेल रहा हैं । विभिन्न सरकारों के पास अपनी मांग रखी जाती रही परंतु सरकार उदासीन बनी रही । न्याय नहीं मिल सका बड़कागढ़ स्टेट की राजधानी हटिया में शहादत स्मारक स्तंभ के प्रांगण में सरकार से न्याय की गुहार किया जाता रहा है कि शहीद विश्वनाथ शाहदेव के परिवार को नौकरी, रोजगार, चिकित्सा दिया जाए पर आश्वासन के अलावा कुछ भी प्राप्त नहीं हुआ। सरकार ने घोषणा की थी कि अमर शहीद का ग्राम को आदर्श ग्राम बनाया जाएगा इन्हें नौकरी रोजगार दी जाएगी परंतु आश्वासन बनकर रह गया । सरकार से आश्वासन दी गई कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैदान का नाम अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव के नाम पर होगा परंतु वह भी न हो सका। जबकि क्रिकेट स्टेडियम अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव की भूमि पर स्थित है ।
*श्री धर्मेंद्र तिवारी ने कहा* कि एचईसी कारखाना को सरकार ने अमर शहीद की पंद्रह सौ एकड़ जमीन मुफ्त में दे दी परंतु एचईसी प्रबंधन के आश्वासन के बाद भी एचईसी में अमर शहीद के वंशजों को नौकरी नहीं दिया और न ही उनके उत्तराधिकारी को मुआवजा ही दिया ।
एचईसी अमर शहीद की जमीन को स्मार्ट सिटी के नाम पर सरकार को बेच रही है और अपना करखाना चला रही है जिसकी घोर निंदा शहीद का वंशज कर रहा है।
*श्री अनिल कुमार ने कहा* कि अंग्रेजो द्वारा दिया गया सजा आज भी अमर शहीद का परिवार भोग रहा है। सरकार उन स्वतंत्रता सेनानी के कल्याण के लिए तत्पर है जिसकी संख्या वोट के लिए काफी है अन्यथा सरकार शहीद परिवार के कल्याण के दिशा में कोई भी ठोस कदम नहीं उठा रही ।
आज वोट के लिए शहीदों को बांटा जा रहा है। यह हमारे राष्ट्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण हैं।
शहीद जात पात और वोट की राजनीति से ऊपर है। इन्हें बांट कर देखना सरकार बंद करें अन्यथा ऐसा भी समय आएगा जब अन्याय, शोषण, जुल्म के खिलाफ हथियारबंद आंदोलन से इनकार नहीं किया जा सकता है।
संचालन हरिदास चौधरी ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन इंदर गोप ने किया ।
समारोह में उपस्थित श्री उमेश प्रसाद साहू, मुखतार अंसारी,सीताराम ओहदार, परवेज खलीफा, सुधांशु नाथ शाहदेव, अधिवक्ता शिवशंकर, विजय कुमार, फरहना खातून, जेम्स मिंज, चंदन कविराज, चंद्रमा प्रसाद, अशोक सिंह सहित कई लोगों ने उपस्थित होकर अमर शहीद को श्रद्धांजलि दी।
Report By Sourav Ray (Ranchi, Jharkhand)
By Madhu Sinha
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