KANPUR NAGAR,UP#शहीद भगत सिंह को"बहादुर देशभक्त" की छवि को थोपकर उन्हें राष्ट्रवाद के हिंदुत्व ब्रांड से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।

 KANPUR NAGAR,UP#शहीद भगत सिंह को"बहादुर देशभक्त" की छवि को थोपकर उन्हें राष्ट्रवाद के हिंदुत्व ब्रांड से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। 


कानपुर नगर, उत्तर प्रदेश

लेबर लॉ रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन के तत्वाधान में अपर श्रमायुक्त कार्यालय परिसर में स्थित एसोसिएशन कार्यालय में शहीद भगत सिंह, राजगुरु सुखदेव के शहादत दिवस परभारतीय परिवेश में शहीद भगत सिंह के वर्तमान में प्रासंगिकता विषय पर वकताओं ने कहा कि शहीद भगत सिंह का मानना ​​था कि भारत में सामाजिक परिवर्तन की लड़ाई न केवल तब तक जारी रहेगी जब तक 'गोरे स्वामी' को सत्ता से हटा नहीं दिया जाता, बल्कि 'भूरे स्वामी' को भी सिंहासन से हटा दिया जाता है।

   शहीद-ए-आजम भगत सिंह, क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी और सदाबहार युवा आइकन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में उन नामों में से एक हैं, जिन्होंने अपनी कम उम्र में ही राजनीतिक-वैचारिक तेज के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।  उनका जीवन केवल एक 23 वर्षीय युवक की कहानी नहीं है, जो फांसी के फंदे को गले लगाते समय अपनी विचारधारा पर अडिग रहा। भारत में सामाजिक परिवर्तन की लड़ाई न केवल तब तक जारी रहेगी जब तक कि 'गोरे स्वामी' को सत्ता से हटा नहीं दिया जाता, बल्कि 'भूरे स्वामी' को भी सिंहासन से हटा दिया जाता है। सामाजिक परिवर्तन तभी प्राप्त किया जा सकता है जब वास्तविक शक्ति श्रमिक वर्ग के हाथ में स्थानांतरित की जाए।

     स्वतंत्रता आंदोलन में भगत सिंह के योगदान और खासकर युवाओं के बीच उनकी लोकप्रियता को कोई नकार नहीं सकता। इसी वजह से वैचारिक रूप से उनके विचारों के विरोधी ताकतें भी उनकी विरासत को हड़पने की कोशिश कर रही हैं।

       वर्तमान समय में जब दक्षिणपंथी की लोकप्रियता बढ़ रही है और सत्ता पक्ष द्वारा हमारे जीवन में सांप्रदायिक जहर फैलाया जा रहा है, भगत सिंह और उनकी विचारधारा के लाखों अनुयायी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के विचारों को चुनौती दे रहे हैं।  संघ और उसके सहयोगी संगठन भगत सिंह की लोकप्रियता का खंडन नहीं कर सकते हैं, लेकिन हाल ही में राष्ट्र के लिए एक निःस्वार्थ बलिदान करने वाले "बहादुर देशभक्त" की छवि को थोपकर उन्हें राष्ट्रवाद के हिंदुत्व ब्रांड से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। उन्हें अक्सर चित्रों में पिस्तौल पकड़े हुए आतंकवादी के रूप में चित्रित किया जाता है। फिर भी, उनके विचारों-राजनीतिक और धार्मिक-को नजरअंदाज किया जा रहा है क्योंकि वह एक मार्क्सवादी और स्वयंभू नास्तिक थे।

     संगोष्ठी की अध्यक्षता दिनेश वर्मा तथा संचालन असित कुमार सिंह ने किया और सर्वश्री एस ए एम ज़ैदी, धर्मदेव, महेंद्र त्रिपाठी,शैलेन्द्र शुक्ल, हीरावती, आशीष कुमार सिंह, आर पी कनौजिया,विजय कुमार शुक्ला, शशिकांत शर्मा, लाल साहब सिंह,  अंबादत्त त्रिपाठी, आर पी श्रीवास्तव, रामबढ़ई शुक्ल आदि ने विचार व्यक्त किए।


Report By Amit Kumar Trivedi (Kanpur Nagar, Uttar Pradesh)

By Madhu Sinha 

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