RANCHI,JHARKHAND#*नाटक "किस्सा कुर्सी का" का हुआ मंचन*
*राजनीतिक द्वंद के बीच महिला सशक्तिकरण पर जोर देता नाटक "किस्सा कुर्सी का"*
कडरू स्थित "झारखंड फिल्म एंड थियेटर अकैडमी" के तत्वाधान स्टूडियो थिएटर के मंच पर रविवार की शाम नाटक "किस्सा कुर्सी का" का मंचन हुआ नाटक का लेखन व निर्देशन राजीव सिन्हा ने किया.
नाटक में अभिनय करने वाले कलाकारों में शामिल थे कौशल ताम्रकार, वर्षा रानी, प्रीति सिन्हा, नेहा कुमारी, अपराजिता रॉय, सूरज पारया, अभिनव कुमार, नीतीश कुमार और ऋषि राज
नाटक के कथानक में दिखाया गया... जब एक राजनीतिक पार्टी को सत्ता हासिल करनी होती है तो वो क्या क्या तिकड़म अपनाते हैं, इसी क्रम में "बहन जी और आपकी पार्टी" की मुखिया नमिता बहन काउंसलर के पद के लिए अपनी पार्टी से उम्मीदवार का चुनाव करना चाहती हैं लेकिन सत्ता पक्ष के खिलाफ अनशन पर बैठने के लिए उनकी पार्टी से कोई तैयार नहीं होता, ऐसे में बहन जी की नजर इज्जत भिखारी पर जाती है जो 10 दिनों से कुछ नहीं खाया होता है, बहन जी उसे अपनी पार्टी का अहम कार्यकर्ता बताकर अनशन पर बैठा देती हैं, जिसके बाद उसकी चर्चा जोर-शोर पर होने लगती है और वह अपने क्षेत्र में काफी काफी ख्याति प्राप्त कर लेता है, तब बहन जी उस भिखारी को अपनी पार्टी की तरफ से काउंसलर के चुनाव के लिए खड़ा करती हैं,
चुनावी प्रचार के दौरान बहन जी ने पार्टी की जीत पर जनता दरबार लगाने का जनता से वादा किया होता है, ऐसे में जब उनकी पार्टी जीत जाती है और इज्जत भिखारी उस क्षेत्र का काउंसलर बन जाता है, तब पहली जनता दरबार लगाई जाती है जिसमें इज्जत भिखारी को जनता की समस्याएं सुनने की जिम्मेदारी दी जाती है, पहले तो इज्जत भिखारी घबराता है लेकिन बाद में मिश्रा जी पी ए की मदद से समस्याएं सुनना शुरू करता है इस दौरान जब महिला उत्पीड़न की एक समस्या लिए दो बहने आती हैं तो इज्जत भिखारी के पास अजीब सी परिस्थिति आ जाती है, बहनों के कहने पर जब गुनहगार को बुलाया जाता है तो गुनहगार सारा दोष अपने मां-बाप द्वारा दिए गए संस्कार पर डाल देता है, और जब मां-बाप को बुलाया जाता है तो वह अपना दोष मोहल्ले के ठेकेदार पर डाल देते हैं, और फिर ठेकेदार प्रशासन पर और प्रशासन कानून पर,
अंत में जब कानून अपना दोष सरकार पर डालता है तब इज्जत भिखारी को बात समझ नहीं आती और वह सरकार को हाजिर करने का आदेश देता है पर जब उसे पता चलता है कि सरकार उसी की है और वह खुद सरकार का प्रतिनिधि है तब उसकी आंखें खुल जाती है और इज्जत भिखारी स्वीकार करता है कि यह कुर्सी ऐसी चीज है जिसके लालच में आकर हर इंसान एक दूसरे पर उंगलियां उठाने लग जाता है ऐसे में महिलाओं को इज्जत भिखारी एक संदेश देता है कि "बहने तुम खुद को इतना मजबूत करो कि कोई भी तुम्हारा बाल भी बांका ना कर सके"
By Madhu Sinha
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