जीडीए(GDA) बना भ्रष्टाचारियों का चारागाह।
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
भ्रष्टाचार कहूं या जीडीए दोनों के एक ही मायने हैं। जीडीए द्वारा बनवाई गई कालोनियों की बात करूं, लोहिया आवास की बात करूं या निर्माण विभाग द्वारा कराए गए किसी भी वैध, अवैध निर्माणों की बात करूं, एक लंबी फेहरिस्त है भ्रष्टाचार की। आवासीय योजनाओं में पैसा जमा कराने की बात करूं या निर्माण हो जाने के बाद निर्माण का फर्जी दायरा बढ़ाकर अवैध वसूली की बात करूं जो कि उनके कार्य योजना बुक (उपभोक्ता हेतु) में कहीं दर्ज नहीं है फिर भी अवैध वसूली जारी है। उस अवैध वसूली के पैसे का कोई वैधानिक हिसाब किताब नहीं है।
उक्त बातें जीडीए के भ्रष्ट लोक सेवकों द्वारा वर्षों से खेले जा रहे अवैध निर्माण एवं संचालन के खेल के विरुद्ध विकास प्राधिकरण/मंडल आयुक्त गोरखपुर कार्यालय पर तीसरी आंख मानवाधिकार संगठन द्वारा चलाए जा रहे सत्याग्रह संकल्प के 72 में दिन कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय गोरखपुर के पूर्व छात्र नेता डॉक्टर सत्य प्रकाश पाठक ने कही। उन्होंने कहा कि जीडीए द्वारा अवैध रूप से निर्माण व संचालित नर्सिंग होमों की बात करूं या रेस्टोरेंट्स, होटलों की बात करूं या मॉल कांप्लेक्स की बात करूं, जिधर भी सर उठाइए जीडीए की कार्यप्रणाली में भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार मिलता है। वह भी मुख्यमंत्री जी के गृह नगर में। इसी क्रम में संगठन के संस्थापक महासचिव शैलेंद्र कुमार मिश्र ने भी कहा कि अभी जीडीए की आवासी योजना जो तारामंडल क्षेत्र में है, तमाम भूखंड के आवंटन की जड़ में कहीं न कहीं जीडीए का हाथ मिलेगा। जो तत्कालीन समय में बहुत ही सस्ते में भूखंड विभिन्न नामों से आवंटित करा लिया गया था, आज के समय में वह भूखंड उन्हीं समीकरणों के द्वारा ₹135 वर्ग फीट वाली विकास प्राधिकरण की जमीन रुपया 5 से 8000 प्रति स्क्वायर फीट के बीच बेलगाम बिक रही है और इस व्यवस्था में जीडीए से मिला जुला काकस, तमाम कर्मचारी, अधिकारी कई दशकों से इस व्यापार में मठाधीशी कर रहे हैं।
By Madhu Sinha

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