अन्जुमन इस्लामिया चुनाव संयोजक मंडली के द्वारा 20 किलोमीटर के दायरे को अन्जुमन इस्लामिया रांची से जोड़ने के अपने खुद के अधिसूचना को रद्द करने से रांची शहर एवं ग्रामीण इलाकों में अन्जुमन इस्लामिया चुनाव संयोजक के खिलाफ काफी रोष है


अन्जुमन इस्लामिया चुनाव संयोजक मंडली के द्वारा 20 किलोमीटर के दायरे को अन्जुमन इस्लामिया रांची से जोड़ने के अपने खुद के अधिसूचना को रद्द करने से रांची शहर एवं ग्रामीण इलाकों में अन्जुमन इस्लामिया चुनाव संयोजक के खिलाफ काफी रोष है


,ज्ञात हो कि चुनाव घोषणा होने के साथ ही मेम्बर बनाने की प्रक्रिया के तहत रांची एवं आसपास के 20 किलोमीटर के दायरे को अन्जुमन इस्लामिया से जोड़ने की नियमावली की अधिसूचना जारी की गई थी जहाँ तक हम सभी को पता है अधिसूचना में कुछ खामियां थी जिसको चुनाव संयोजक को आवेदन के माध्यम से अनेक पंचायत कमिटी सोसाइटी ने अपना मंतव्य देते हुए उन ख़ामियों को दूर करने का आग्रह चुनाव कमिटी से किया था जो उनको उचित मांग लगी उसको चुनाव कमिटी ने उन खामियो को दूर भी किया,झारखण्ड मुस्लिम सेंट्रल कमिटी के साथ साथ हर पंचायत- इदारा यह चाहती है कि अन्जुमन इस्लामिया रांची में देही इलाको को ज्यादा से ज्यादा प्रतिनिधित्व मिले पर अचानक से ग्रामीण इलाकों को 20 किलोमीटर के दायरे वाले नियमावली में परिवर्तन कर बदलने की घोषणा से हम सभी स्तब्ध है यह अन्याय ग्रामीण इलाको के साथ क्यो और किसके इशारो पर की जा रही है यह एक अपने आप मे सवाल खड़ा करती है झारखंड मुस्लिम सेंट्रल कमिटी ने जब कन्वेनर पद पर बैठे सैयद इक़बाल साहब को चुनाव संयोजक बनाने का विरोध किया था तब इस चुनाव के गतिरोध को खत्म करने के लिए शहर के ओलमाओ और अन्य सामाजिक संगठनों ने पहल करते हुए संयोजक मंडली में 5 ओलमाओ और 5 सामाजिक संगठन के सदस्यों को संयोजक कमिटी में रखने का फैसला शहर के उलेमाओ के द्वारा किया गया जिसको झारखंड मुस्लिम सेंट्रल कमिटी ने सहर्ष स्वीकार किया,और साफ सुथरी चुनाव होने के लिए चुनाव संयोजक मंडली में शामिल हुए सभी लोगो पर एक विश्वास जताते हुए आगे हर कदम पर साथ देने की बात कही थी पर कुछ तथ्य के आधार पर ऐसा प्रतीत होता है कि संयोजक मंडली पूर्व के पदाधिकारियो के दबाव में है,उदाहरण स्वरूप अन्जुमन इस्लामिया के संसाधनों का इस्तेमाल पूर्व के पदाधिकारियो के द्वारा धड़ल्ले से किया जा रहा है,कमिटी इस चुनाव को प्रभावित करने में चुप्पी साध कर उनके मंशा को सफल कर रही है,एक उदाहरण यह भी है कि मतदाताओं को लुभाने के लिए और अपने पक्ष में वोटर को करने के लिए कार्यक्रम एवं बैठक अन्जुमन इस्लामिया के मुसाफिरखाना में की जा रही है जो नियम विरुद्ध है,इस पर चुनाव संयोजक या चुनाव कमिटी के अन्य लोगो की चुप्पी पूर्व के पदाधिकारियो का मौन धारण कर उनका समर्थन करना ही है,अन्जुमन के पूर्व के पदाधिकारियों के द्वारा चुनाव आचार संहिता का धज्जिया किस तरह से उड़ाई जा रही है वो सर्वविदित है कि नियम विरुद्ध दिनाँक 20/09/2021 को पूर्व के पदाधिकारियो के द्वारा अन्जुमन इस्लामिया अस्पताल में अब्दुल सलाम मेमोरियल हॉल में  बैठक करने के बाद ही संयोजक के द्वारा अखबारों में यह सूचना दी गई कि चुनाव पूर्व में जैसे हुई थी वैसे ही इस बार भी कराई जाएगी, इसलिए यह संदेह है कि संयोजक कमिटी पूर्व के पदाधिकारियो के दबाव में  कार्य कर रही है,पूर्व के पदाधिकारी यह नही चाहते कि ग्रामीण इलाकों को अन्जुमन इस्लामिया में प्रतिनिधित्व मिले क्योंकि उनके आने से चुनाव में हारने का खतरा रहेगा क्योंकि गाँव देही इलाको के लोग पूर्व के पदाधिकारियो के प्रभाव में नही आएंगे और उनको वोट नही देंगे इसीलिए एक साजिश के तहत सुनियोजित तरीके से 20 किलोमीटर के दायरे को हटा कर चुनाव करवाया जाए जिससे अन्जुमन में फिर से कब्जा करने की उनकी मंशा सफल हो,सुनियोजित रूप से संयोजक के सहयोग से यह कार्य करने की साजिश की जा रही है संयोजक कमिटी के कुछ लोग तो अन्जुमन के पूर्व महासचिव जो अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ने की मंशा रखते है उनको पूर्व अध्यक्ष के समर्थन में अध्यक्ष पद से चुनाव न लड़ने के लिए मान मनव्वल करने में लग गए है यह सब घटना यह साफ साफ इशारा करता है कि चुनाव संयोजक की टीम पूर्व के पदाधिकारियो के प्रभाव में  रहकर चुनाव करवाने की जुगत में लगे है,JMCC किसी भी कीमत पर ग्रामीण इलाकों को अन्जुमन से हटाने की साजिश को कामयाब नही होने देगी,अगर ग्रामीण इलाकों को मुंतज्मा का सदस्य नही बनाना था तो  अधिसूचना जारी करने से पहले ही सारे नियम कानून को लागू करने के बाद अधिसूचना जारी करना चाहिए था मेम्बर बनने एवं आधे से ज्यादा आवेदन स्वीकार करने के बाद यह नियम बदलने की घोषणा करना एक ही तरफ इशारा करती है कि संयोजक को रिमोट के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है,JMCC ग्रामीण इलाको को अन्जुमन से जोड़ने के लिए हर लड़ाई लड़ने को तैयार है,JMCC जल्द चुनाव करवाने के पक्ष में है और इसलिए चुने गए चुनाव संयोजक को कुछ शर्तों के बाद रांची शहर के विभिन्न सामाजिक संगठनों ने उनके पद पर बने रहना स्वीकार किया था वर्ना संयोजक की नियुक्ति ही असंवेधानिक एवं संदेहास्पद थी और आज के स्थिति को देखते हुए यह साफ हो गया है कि चुनाव संयोजक को अपने लाभ के लिए ही मनोनीत किया गया था जो कि JMCC को स्वीकार्य नही है जो अधिसूचना जारी हो चुकी है उसी के अंतर्गत चुनाव हो अन्यथा JMCC पुनः आंदोलन के लिए बाध्य होगी


By Madhu Sinha

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