RANCHI,JHARKHAND#सुधा सिन्हा पत्रकारिता जगत में मील का पत्थर, ग्रामीण क्षेत्रों तक आज महिला पत्रकारों की निर्भीक उपस्थिति सुधा सिन्हा की देन : बलबीर दत्त
पहली महिला पत्रकार सुधा सिन्हा की प्रथम पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा रांची प्रेस क्लब में आयोजित ।
रांची, झारखंड।आज दिनांक 8 में दिन बुधवार 2024 को रांची प्रेस क्लब सभागार में झारखंड की पहली महिला पत्रकार सुधा सिन्हा की स्मृति में रांची प्रेस क्लब एवं सुधा एंड अरमान मेमोरियल चैरिटेबल ट्रस्ट के द्वारा श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्रख्यात वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री बलबीर दत्त ने सुधा सिन्हा के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि ऐसे समय में जब पत्रकारिता जगत सिर्फ पुरुषों का कार्य क्षेत्र हुआ करता था, वैसे समय में सुधा सिन्हाने पत्रकारिता करने का निर्णय लिया।यह उसे समय की बेहद क्रांतिकारी बात थी। वरिष्ठ पत्रकार हरि नारायण सिंह ने बताया कि सुधा सिन्हा के साथ काम करने पर उन्होंने देखा की सच्चाई और ईमानदारी से काम करने के प्रति उनका जज्बा और द्वितीय था। वरिष्ठ पत्रकार अनुज सिंह ने उन्हें बड़ी बहन बताते हुए कहा कि वह तत्कालीन सभी पत्रकारों के लिए वह बड़ी बहन जैसी थी और किसी भी पत्रकार के साथ अगर किसी प्रकार की कार्यस्थल पर असुविधाजनक बात होती तो उसके अधिकार और सम्मान के लिए सबसे मजबूती से आवाज उठाती थी। प्रेस क्लब अध्यक्ष सुरेंद्र सोरेन ने बताया कि उनके द्वारा की गई शुरुआत के कारण ही आज पत्रकारिता जगत में महिलाएं पूरी निर्भीकता के साथ काम कर पाती हैं। इससे पूर्व दीप प्रज्वलित कर चित्र पर माल्यार्पण एवं श्रद्धांजलि देते हुए कार्यक्रम की शुरुआत की गई। मंच संचालन रेखा पाठक एवं प्रियंका मिश्र ने किया। सुधा सिंह के जीवन परिचय को बताते हुए रेखा पाठक ने बताया, सुधा सिन्हा जी का जन्म पिता आर्मी अफ़सर मेजर डॉ. बीपी सिन्हा एवं माता राधा देवी सिन्हा के घर तृतीय सुपुत्री के रूप में हुआ। स्कूली शिक्षा रांची में गवर्मेंट गर्ल्स स्कूल एवम रांची विमेंस कॉलेज से हुई। तत्कालीन समय के प्रख्यात वरिष्ठ पत्रकार रांची एक्सप्रेस के संपादक बलबीर दत्त जी के मार्गदर्शन में पत्रकारिता में इनका रुझान हुआ।
उनके पाक्षिक अखबार न्यू मैसेज की शुरुआत की कहानी वरीय पत्रकार नवेंदु उन्मेष कुछ इस प्रकार वर्णन किए हैं।बात 1980 की है एक पतली-दुबली गोरी लड़की नवेंदु उन्मेश के पिताजी कविवर रामकृष्ण उन्मन के पास रांची से एक पाक्षिक अखबार निकालने का विचार लेकर आयी थी। उस वक्त उन्होंने एम. ए. पास किया था। इन्हीं की सलाह पर उन्होंने अखबार निकाला ' न्यू मेसेज'। अखबार का लोकार्पण महाबीर चौक स्थित संस्कृति बिहार के हाल में किया गया। लोकार्पण के वक्त सबसे ज्यादा चर्चा प्रथम पृष्ठ पर बड़े-बड़े अक्षरों में प्रकाशित शीर्षक ' हांफ रहा है रांची प्रशासन ' पर हुई। तब पत्रकार आर. एन. झा ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा था। रांची प्रशासन पत्रकारों के डर से हांफता नहीं, कांपता है। चेंबर में पत्रकारों के जाते ही रांची के डीसी कुर्सी से उठकर खड़े होने को बाध्य हो जाते हैं।
इसके बाद विभिन्न पत्रकार प्रियदर्शन जी समेत नवेंदु उन्मेष जी अखबार में लिखने पढ़ने की तमन्ना लेकर उनके संपर्क में आये। दफ्तर खुला थड़पखना में। बाद में लालपुर में। कुछ साल बाद पत्रकार वासवी किड़ो और पंजाब नेशनल बैंक में राजभाषा अधिकारी आशुतोष प्रसाद भी उनके संपर्क में आये और अखबार में लिखना-पढ़ना शुरू किया। रांची पटना आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से लगातार जुड़ी रहीं।यह अखबार 2000 ईस्वी तक नियमित रूप से निकलता रहा। सुधाजी ने अपनी मशीन भी लगायी। खुद कंपोजिंग करती थी। कभी-कभी ट्रेडिल मशीन चलाकर अखबार निकाल लेतीं थी। उनका का न्यू मैसेज अखबार निकालने का उत्साह देखते बनता था। अखबार में क्या लिखना चाहिए और क्या नहीं लिखना चाहिए इस संबंध में वह रांची टाईम्स के संपादक व बाद के दिनों प्रभात खबर के संपादक रहे दिलीप दाराद, छोटानागपुर दर्शन के संपादक चन्द्र भूषण शर्मा और साहित्यकार विद्याभूषण जी से सलाह ले आया करती थीं। बेहद निर्भीक स्वभाव की पत्रकार रहीं सुधा सिन्हा जी तत्कालीन बिहार वर्तमान झारखंड की पहली महिला पत्रकार सह पहली महिला संपादक रही। महिलाओं और बच्चों के सुरक्षा एवं सामाजिक उत्थान के लिए विशेष प्रयत्नशील रही। महिला समाख्या की संयोजिका रहीं जिसके माध्यम से महिला सशक्तिकरण में लगातार क्रियाशील रही। उनके साथ प्रो. डॉ. रोज केरकेट्टा भी इनसे जुड़ी हुई थीं। झारखंड राज्य निर्माण के पूर्व और राज्य बनने के बाद भी पत्रकारों के लिए प्रेस क्लब बने इसके लिए उन्होंने काफी प्रयास और संघर्ष किया।उनके 50 वर्षों के पत्रकारिता के क्षेत्र में योगदान को ध्यान में रखकर रांची प्रेसक्लब द्वारा 2020 ई में उन्हें लाईफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। 2021 में तेजस्विनी सम्मान से भी सम्मानित किया गया। इसके अलावे भी पत्रकारिता के कृष्ण कार्य के लिए उन्हें विभिन्न समय पर सम्मानित किया जाता रहा है। अपने जीवन के उद्देश्य पूछने वह कहा करती थी की एक समय ऐसा हो जब देश की बेटियां सामाजिक आर्थिक रूपसे इतनी सशक्त हो कि जिस भी कार्यक्षेत्र में रहें उन्हें पूरा सम्मान और प्रतिष्ठा बराबरी का मिले। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन सुरेंद्र सोरेन ने किया।By Madhu Sinha
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