RANCHI,JHARKHAND#फूल भी है चिंगारी भी है यह भारत की नारी है –एबीवीपी
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद रांची महानगर के द्वारा डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय इकाई में मुख्य सभागार में रानी लक्ष्मीबाई की जयंती स्त्री शक्ति दिवस के रूप में मनाया गया,
कार्यक्रम की विधिवत उद्घाटन मुख्य अतिथि रांची की महापौर, राष्ट्रीय मंत्री भाजपा डॉ आशा लकड़ा , डॉ यशोधरा राठौड़, डॉ रीना नंद, डॉ पीयूष बाला, दिशा दित्या ने संयुक्त रूप से रानी लक्ष्मीबाई, सरस्वती माता ,स्वामी विवेकानंद जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि कर किया।
कार्यक्रम का संचालन इतिहास की छात्रा निकी सिंह, अमीषा संयुक्त रूप से किया।
अतिथियों का स्वागत फाइन आर्ट्स के स्टूडेंट्स ने संयुक्त रूप से गीत गाकर किया।
कार्यक्रम का संबोधन सर्वप्रथम राजनीति शास्त्र की विभागीय अध्यक्ष रीना नंद जी ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि सशक्तिकरण और सरकार द्वारा और वर्तमान में छात्रों को किस प्रकार अपने आप को सशक्त करना है उसके ऊपर विषय रखते हुए छात्राओं को आगे आने की बात कही,
उसके बाद अंग्रेजी विषय की विभागाध्यक्ष पीयूष बालाजी ने संबोधन में कहा कि महिला स्वयं शक्ति है, वर्तमान परिदृश्य में छात्राओं को रानी लक्ष्मीबाई की जीवनी पढ़नी चाहिए। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में रानी लक्ष्मीबाई का अहम योगदान रहा है।
अगले वक्ता के तौर पर हिंदी संकाय की विभागीय अध्यक्ष यशोधरा राठौड़ जी ने कहा कि
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई वह भारतीय वीरांगना थीं, जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए रण भूमि में हंसते-हंसते अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे।उन से हमे बहुत कुछ सीखने की आवश्यकता है।
रानी लक्ष्मीबाई ने आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों को लोहे के चने चबवा दिए, जिस कारण फिरंगियों को भारत छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। आज हमें ऐसे महापुरुषों के पदचिह्नों पर चलकर उनके मार्ग को जरूरत पड़ने पर अपनाना पड़ेगा।
*अगले वक्ता के तौर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉक्टर आशा लकड़ा जी ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि विद्यार्थी परिषद ही एकमात्र छात्र संगठन है छात्राओं के वीरता एवं महापुरुषों की जयंती कॉलेज परिसरों में मना कर देश एवं राष्ट्र के लिए उनके द्वारा दिए गए बलिदान को आजीवन उन्हे यादों में जीवंत रखने का प्रयास नितांत करती आ रही है, साथ ही छात्राओं को आज सशक्त होने के लिए एवं आत्मनिर्भर बनने के लिए उन्हें आज समाज में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए दृढ़ संकल्पित होने की आवश्यकता है साथ ही आज महिलाएं हर क्षेत्र में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रही है समाज में आज अपना कहीं ना कहीं जो एक उपस्थिति है वह दर्ज करा रही है आज महिलाएं हर क्षेत्र में आगे हैं, पश्चिमी सभ्यता को त्याग कर आज महिलाओं को अपनी भारतीय* संस्कृति को अपनाने की आवश्यकता है आज पाश्चात्य संस्कृति भारतीय संस्कृति को अपना रहे हैं, इससे भी हमें सीखने की आवश्यकता है, जिस प्रकार रानी लक्ष्मीबाई ने अपनी राष्ट्रीय भूमि की रक्षा के लिए अपने बच्चे को पीठ में बांधकर अंग्रेजों से डटकर लोहा लिया, और आखरी सांस तक लड़ती रही , सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में आई फिर से नई जवानी थी,
गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी, दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी चमक उठी सन 57 में वह तलवार पुरानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।
डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय अभाविप इकाई के द्वारा रानी लक्ष्मीबाई जयंती के अवसर पर रानी लक्ष्मीबाई की जीवन यात्रा को नाट्य रूपांतरण के माध्यम से वहां की छात्राओं ने नृत्य के माध्यम से दिखाने का प्रयास किया जिसमें मनीषा, श्रुति सांची ग्रुप, पायल, संजना, अक्षिता ने कार्यक्रम प्रस्तुत किया।
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय इकाई की छात्र छात्राओं ने प्रमुख भूमिका निभाई जिसमें रितु,केसरी ,अक्षिता,संजना,सोनी, श्रुति, अमीषा, वैष्णवी, पायल जयसवाल, आनंद कुमार, प्रणव गुप्ता, निखिल,हिमांशु,सोनू , अंशु, विशाल, ऋषि, पवन, अनुराग, आदि कार्यकर्ताओं ने इस कार्यक्रम में अपना योगदान दिया।
मौके पर अभाविप के राष्ट्रीय कार्यकारिणी विशेष आमंत्रित सदस्य पंकज कुमार, जनजातीय कार्य प्रमुख प्रमोद रावत, प्रादेशिक विवि कार्य प्रमुख विशाल सिंह, रांची विश्वविद्यालय संयोजक दुर्गेश यादव एवं समस्त छात्र-छात्राएं उपस्थित थे
Report By Sourav Roy (Ranchi, Jharkhand)
By Madhu Sinha
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