Ranchi : *गो पालन से रोजगार, स्वावलंबन के अवसर पैदा करने की जरूरत: सुदिव्य सोनू* *अमूल ब्रांड की तरह झारखंड में भी एक बड़ा ब्रांड स्थापित करने की तैयारी*।

Ranchi : *गो पालन से रोजगार, स्वावलंबन के अवसर पैदा करने की जरूरत: सुदिव्य सोनू*

*अमूल ब्रांड की तरह झारखंड में भी एक बड़ा ब्रांड स्थापित करने की तैयारी*।

रांची, झारखंड ।

झारखण्ड गो सेवा आयोग, राँची के द्वारा पारिस्थितिकी संतुलन एवं आधुनिकता के परिप्रेक्ष्य में गो सेवा के क्षेत्र में उभरती चुनौतियां एवं सम्भावनाएं विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला सह संगोष्ठी का शुक्रवार को समापन हो गया। 

हेसाग, रांची स्थित पशुपालन भवन के सभागार में नगर विकास मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने भी भागीदारी की। उन्होंने देशभर से रांची आये विशेषज्ञों, साइंटिस्टों का स्वागत करते खुशी जताई। कहा कि भारत सनातन संस्कृति का देश रहा है। मानव को आश्रय, भोजन, छांव ईश्वरीय कृपा से ही मिलता है। महिलाओं के साथ-साथ हम सब गाय को भी माता का दर्जा देते आये हैं। इन दोनों को ईश्वर का दर्जा देते हैं। प्रकृति को ईश्वर की प्रत्यक्ष उपस्थिति मानते हैं। गो माता के दूध, गोबर का विशिष्ट महत्व रहा है। आज गौ सेवा जैसे महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा कर रहे हैं। यह देखा जाना जरूरी है कि गोपालन को रोजगार से जोड़ा जाए। पहले गो पालन एक सामान्य विषय था पर अब इससे रोजगार को भी जोड़ना जरूरी है। शहरों में गौ पालन कई कारणों से दुरूह कार्य है। ऐसे में अब गौ पालन के जरिए नये अवसर पैदा करने की आवश्यकता है। सुदिव्य सोनू ने खुशी जताते कहा कि सफेद क्रांति (मिल्क क्रांति) और अमूल ब्रांड वाले राज्य गुजरात से एक्सपर्ट यहां आये हैं। यहां भी अमूल के बराबर का ब्रांड खड़ा किया जा सके तो खुशी होगी। सरकार द्वारा सब्सिडी का लाभ कृषकों को दिये जाने और इसमें बिचौलिए तंत्र के हावी होने पर चिंता भी जताई। साथ ही

उन्होंने भरोसा जताते कहा कि इस वर्कशॉप के जरिए खुशनुमा ढांचा तैयार होगा। यहां के बच्चों के कुपोषण को दूर करने में मदद मिलेगी। मंत्री ने मौके पर अलग-अलग राज्यों से आये साइंटिस्ट्स को सर्टिफिकेट देकर सम्मानित भी किया। मौके पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष केशव महतो कमलेश, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय, गो सेवा आयोग के अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद, उपाध्यक्ष राजू गिरी, आइसीएआर के प्रतिनिधि, पूर्व सांसद वल्लभभाई कथीरिया, आयोग के सचिव डॉ संजय प्रसाद, निबंधक डॉ मुकेश मिश्रा, पशु चिकित्सक डॉ प्रभात पांडेय, डॉ जय तिवारी, विभिन्न गोशालाओं के संचालक, किसान और अन्य भी उपस्थित थे।

*मनमोहन सरकार में भी गौ सेवा पर फोकस: सुबोधकांत*

सुबोधकांत सहाय ने मौके पर कहा कि जब वे केंद्र में मनमोहन सिंह सरकार में फूड प्रोसेसिंग मंत्री थे, उस समय भी इस विभाग के जरिए डेयरी, गौरक्षा पर कार्य हुए थे। इसे प्रोत्साहन दिया गया था। दुनियाभर में हमारा देश दूध प्रोडक्शन में अग्रणी है। फूड प्रोसेसिंग मंत्रालय के जरिए जहां चारा संकट था, उस जगह चारा पैदावार के लिए सब्सिडी दी जाती थी। सुबोधकांत ने कहा कि अपने चार दशक से भी अधिक समय में  उन्होंने देखा है कि संकल्पित होकर ही गौशालाओं का संचालन होता है। झारखंड में ज्यादा डेयरी नहीं होने और इसके लिए गाय से पर्याप्त दूध नहीं होने की आशंका की चर्चा की। हालांकि उन्होंने इसे दोहराया कि दूसरे राज्यों की तुलना में यहां पर्याप्त चारा उत्पादन होता है। उन्होंने झारखण्ड गो सेवा आयोग के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष क प्रयासों की सराहना करते कहा कि यहां से जो निचोड़ निकलेगा, वह आगामी कार्ययोजना तैयार करने में मदद मिलेगी। भविष्य के लिए क्या सुधार करना है, वह यहां से सीख सकते हैं।

कार्यशाला में केशव महतो कमलेश ने इस दौरान कहा कि जिस तरह से समुद्र मंथन से कामधेनु गाय निकली थी, उसी तरह इस कार्यशाला के जरिए महत्वपूर्ण इनपुट निकलेगा  जो झारखंड के लिए मील का पत्थर साबित होगा। विभिन्न प्रदेशों से आये एक्सपर्ट के विचार, रणनीति से बेहतर कार्ययोजना बनाने में मदद मिलेगी। हमारी संस्कृति में पशुधन, गो माताओं का विशेष स्थान रहा है जो किसी से छिपा नहीं है। गो माता के दूध से हम दीर्घायु होते हैं, वह हमें आरोग्य प्रदान करता है। उससे हम कभी उऋण नहीं नहीं हो सकते। वेदों में भी इनका जिक्र है। केशव महतो ने गो सेवा आयोग के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला के आयोजन के लिए बधाई देते कहा कि इस आयोजन ने चार चांद लगाया है। आयोग की सकारात्मक और प्रभावी पहचान वर्तमान अध्यक्ष, उपाध्यक्ष ने बनाई है। जहां गोशाला नहीं है, उसके लिए प्रयास किया है। जिलों में भ्रमण कर उपायुक्त और अन्य के साथ मिलकर गो सेवा की दिशा में लगातार काम किया है। 

*सफलता की नयी गाथा लिखने की तैयारी: अध्यक्ष*

अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने गो सेवा आयोग के स्तर से किये जा रहे प्रयासों का उल्लेख किया। कार्यशाला से मिले अनुभवों के आधार पर राज्य में गो सेवा, इसके लिए और सकारात्मक प्रयास किये जाने, गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलने का भरोसा जताया। उपाध्यक्ष राजू गिरी ने राज्य में गो  सेवा के जरिए महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की वकालत की। उम्मीद जताई कि आनेवाले समय में झारखंड में महिला और पुरुष पशुपालकों के जरिए सफलता की नयी कहानियां लिखी जाएंगी।

*पंचगव्य चिकित्सा, नस्ल संरक्षण पर विशेष सत्र*

दोदिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिन पंचगव्य चिकित्सा और नस्ल संरक्षण पर दो अलग-अलग सत्र का आयोजन हुआ। पंचगव्य चिकित्सा के सत्र के दौरान बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची के डॉ सिद्धार्थ जायसवाल ने गौ आधारित कृषि उद्यमिता पर प्रस्तुति दी। अमृत कृषि को फिर से प्रोत्साहित किये जाने पर जोर दिया। कहा कि अमृत कृषि के आधार पर ही कभी हमारा देश सोने की चिड़िया कहलाता था। इससे आकर्षित होकर बाहरी लोग यहां आए। देश की आजादी से पूर्व और आजादी के कुछ वर्षों बाद तक खेतों में ऑर्गेनिक फार्मिंग किये जाने की जानकारी दी। कहा कि रासायनिक खेती जहर की खेती है। इससे मिट्टी में जहर जा रहा और इससे उपजनेवाले फसल, सब्जियों के जरिए हमारे अंदर जहर जा रहा। पंचगव्य आयुर्विज्ञान शोध संस्थान, जमशेदपुर के डॉ मदन सिंह कुशवाहा ने पंचगव्य थेरेपी के महत्व और उपयोगिता के बारे में बताया। पंचगव्य के जरिए मानवता में नवजीवन का संचार पर फोकस करते उपयोगी जानकारी दी। आइसीएआर (आइसीएआर रिसर्च कॉम्प्लेक्स फॉर ईस्टर्न रिजन), पटना के डॉ पीसी चंद्रन ने झारखंड में कैटल, दूध उत्पादन और संभावनाओं के बारे में प्रस्तुति दी। देश में 50 नस्ल के गायों के रजिस्टर्ड होने और झारखंड से एक भी नस्ल के गाय के रजिस्टर्ड नहीं होने का जिक्र किया। रामकृष्ण मिशन, मोरहाबादी के डॉ सुदर्शन विश्वास ने भी पंचगव्य और गाय आधारित ऑर्गेनिक फार्मिंग के इतिहास और इसके महत्व के बारे में बताया। रामायण, महाभारत काल में भी गो वंश के सम्मान का जिक्र किया। डॉ एसके मित्तल ने गौवंशीय पशुओं से संबधित केंद्रीय और झारखंड के विधि विधान पर विस्तार से चर्चा की। गौ हत्या और इसकी तस्करी रोकने पर जोर दिया।

पवित्रम आरोग्यधाम, पंचगव्य चिकित्सा केंद्र, यूपी के आचार्य भरतिया, मध्यप्रदेश के वेटनरी कॉलेज के प्रोफेसर अखिलेश पांडेय समेत अन्य ने भी गौ सेवा, उसके संरक्षण और अन्य पहलुओं पर महत्वपूर्ण बिंदुओं को साझा किया। कार्यशाला के समापन से पूर्व प्रतिभागियों के बीच सर्टिफिकेट वितरण भी किया गया।




By Madhu Sinha 

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